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करवट ले रहा है बिहार, हम सब हैं इसके साक्षी : राज्यपाल

करवट ले रहा है बिहार, हम सब हैं इसके साक्षी : राज्यपाल

-बिहार के उद्याेग और पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा बोले- स्टार्टअप सेल को बढ़ावा देने के लिए सहयोग करेगा विभाग -एमएलसी डॉ संजय सिंह ने कहा – बिना डॉ जगन्नाथ मिश्र के पूरा नहीं हो सकता बिहार का राजनीतिक इतिहास मुजफ्फरपुर. बिहार करवट ले रहा है और हम सब इसके साक्षी हैं. यह गौरवपूर्ण है. युवाओं की सकारात्मक ऊर्जा और मजबूत कंधों के बदौलत बिहार अपने बल-बूते सबकुछ हासिल करने में सक्षम है. जरूरत है एक मजबूत इच्छाशक्ति की. ये बातें राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कही. वे भगवानपुर चौक स्थित एलएन मिश्र कॉलेज ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट में समारोह को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि हमें इस मानसिकता से उबरने की जरूरत है कि हम पिछड़े राज्य हैं. आर्थिक रूप से कमजोर हैं. बिहार में युवाओं की संख्या अधिक है और यही हमारी शक्ति है. 2047 में देश आजादी का शताब्दी वर्ष मनाएगा और लक्ष्य है कि इस समय तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाया जा सके. यह तभी संभव हो सकेगा जब हम सब एकजुट होकर प्रयास करेंगे. उन्होंने कहा कि वर्तमान युग डिजिटल का है. ऐसे में विश्वविद्यालयों को पेपर लेस बनाने की दिशा में आदेश दिया गया है. ऑटोमेशन की मदद से नामांकन से लेकर तमाम मद में ली जाने वाली फी ऑनलाइन ही ली जाये. उन्होंने उदाहरण देकर बताया कि राजभवन में उन्होंने अपने कार्यालय को ई.कार्यालय में परिवर्तित किया है. अब वहां सभी पत्राचार डिजिटल माध्यम में ही हो रहे हैं. उन्होंने सभी लोगों से डिजिटल कार्य संस्कृति को अपनाने की बात कही. इससे पूर्व उन्होंने कॉलेज में नवनिर्मित पुस्तकालय भवन का उद्घाटन किया. मौके पर बिहार सरकार के उद्योग एवं पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा, एमएलसी प्रो.संजय सिंह, बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.दिनेश चंद्र राय, कुलसचिव प्रो.अपराजिता कृष्णा, कॉलेज के निदेशक डॉ मनीष कुमार, कॉलेज के रजिस्ट्रार डॉ शरतेंदु शेखर, विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो.बीएस राय, प्रो.प्रमोद कुमार, प्रो.टीके डे, प्रो.अमिता शर्मा, प्रो.नीलम पांडेय, डॉ अमर बहादुर शुक्ला, समेत अन्य शिक्षक, पदाधिकारी और छात्र-छात्राएं मौजूद थे. बिहार में पर्यटन और उद्योग के क्षेत्र में अपार संभावनाएं उद्याेग और पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा ने कहा कि बिहार में पर्यटन और उद्योग के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं. जरूरत है कि यहां के युवा इस मौके को भुनाएं. वे स्वरोजगार को बढ़ावा दें. इससे वे अपने साथ कई परिवार के लोगों को रोजगार दे सकते हैं. साथ ही नौकरी से उनकी निर्भरता भी खत्म होगी. उन्होंने कहा कि हम बड़ी डिग्री लेकर भी नौकरी के पीछे भागते हैं, जबकि स्वरोजगार भी एक बड़ा माध्यम है. देश को विकसित बनाने में उद्यमियों की महत्ती भूमिका है. 2022 से 2047 तक का समय युवाओं का है और इसमें हमें चाहिए कि सरकार की ओर से दी जा रही विभिन्न योजनाओं को अपनाकर उद्यमिता को बढ़ावा दें. उन्होंने कहा कि उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए विभाग ने एक योजना बनायी है. आइटीआइ, पॉलिटेक्निक, विश्वविद्यालय और सभी प्रकार के कॉलेजों को स्टार्टअप सेल शुरू करने को लेकर विभाग आर्थिक सहयोग देगा. इसका उद्देश्य यह होगा कि युवाओं की नई योजनाओं पर सेल कार्य करे और स्वरोजगार को बढ़ावा दे. उन्होंने अपने पिता और बिहार के तीन बार मुख्यमंत्री रहे डॉ जगन्नाथ मिश्र को याद करते हुए कहा कि वे तीन बार के कार्यकाल में करीब पांच वर्ष तक मुख्यमंत्री रहे. इस अवधि में उन्होंने प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में जो कार्य किया, उसे भूला नहीं जा सकता. वे दूरदर्शी सोच वाले थे और जब लोग मैनेजमेंट की कल्पना नहीं कर पा रहे थे. जब उन्होंने मुजफ्फरपुर और पटना में मैनेजमेंट कॉलेज की स्थापना की थी. किसानों को सम्मान दिए बिना विकसित देश की परिकल्पना अधूरी : कुलपति बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.दिनेश चंद्र राय ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में आज भी कृषि क्षेत्र का बड़ा योगदान है, लेकिन हम किसानों को सम्मान की निगाह से नहीं देख रहे. यही कारण है कि कोई अपने बच्चे को किसान नहीं बनाना चाहता. हम किसानों को सम्मान दिए बिना विकसित भारत की परिकल्पना नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि देश का विकास तभी होगा जब हम इसकी तासीर को समझेंगे. दुबई और सिंगापुर जैसे देश हमसे बाद आजाद हुए और ये विकसित देशों की श्रेणी में आ गये. इन्होंने अपनी तासीर को समझा और उसी अनुसार विकास का रास्ता अपनाया. हम ब्रिटिश कालीन तर्ज पर सौर ऊर्जा को द्वितीयक स्राेत मानते हैं जबकि अंग्रेजों की सोच इसलिए सौर ऊर्जा के प्रति सेकेंड्री सोर्स की तरह थी क्योंकि वहां धूप भारत के अनुसार कम होती है. हम अब सोलर की ओर बढ़े हैं. हम अंग्रेजी शासन काल के अनुसार ही रविवार को अवकाश मनाते हैं. हमें अपनी सभ्यता-संस्कृति को भूलनी नहीं चाहिए. अल्प अवधि में ही डॉ जगन्नाथ मिश्र ने शिक्षा को दी ऊंचाइयां : प्रो.सिंह एमएलसी सह कॉलेज प्रबंध समिति के अध्यक्ष प्रो.संजय कुमार सिंह ने महाविद्यालय परिवार की ओर से सभी अतिथियों का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि डॉ जगन्नाथ मिश्र ने तीन बार मुख्यमंत्री के कुल पांच वर्षों के कार्यकाल में शिक्षा के क्षेत्र में जो योगदान दिया उसे भूला नहीं जा सकता. कॉलेजों के राजकीयकरण, विश्वविद्यालय के शिक्षकों के लिए यूजीसी वेतनमान, प्राथमिक, माध्यमिक विद्यालयों और संस्कृत कॉलेजों के अंगीभूतीकरण में उनकी अहम भूमिका रही. धन्यवाद ज्ञापन कॉलेज के निदेशक डॉ मनीष कुमार ने किया. कार्यक्रम की शुरुआत में कॉलेज की छात्राओं ने स्वागत गीत की प्रस्तुति से कार्यक्रम में चार चांद लगाया.

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