Bihar Land Registry: रजिस्ट्री ऑफिस में दस्तावेजों की चोरी से विभाग चिंतित, सुरक्षा के लिए पुलिस को दिए गए आदेश
Bihar Land Registry: जमीन की शुरू हुई सर्वे के बीच रजिस्ट्री ऑफिस के रिकॉर्ड रूम (अभिलेखागार) में रखे पुरखों के दस्तावेज की चोरी हो रही है. हाल के दिनों में सबसे ज्यादा चोरी की घटनाएं सूबे के भागलपुर, बक्सर, कटिहार जिले में हुई है. इसको लेकर मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग की तरफ से चिंता जाहिर की गयी है.
Bihar Land Registry: जमीन की शुरू हुई सर्वे के बीच रजिस्ट्री ऑफिस के रिकॉर्ड रूम (अभिलेखागार) में रखे पुरखों के दस्तावेज की चोरी हो रही है. हाल के दिनों में सबसे ज्यादा चोरी की घटनाएं सूबे के भागलपुर, बक्सर, कटिहार जिले में हुई है. इसको लेकर मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग की तरफ से चिंता जाहिर की गयी है. साथ ही सभी जिलाधिकारी सह जिला निबंधक को रिकॉर्ड रूम की सुरक्षा का ऑडिट कराने को कहा गया है. सिक्योरिटी ऑडिट की जिम्मेदारी जिला पुलिस को सौंपी गयी है.
विभागीय स्तर पर आवश्यक कदम उठाये जायेंगे
इसके बाद उक्त रिपोर्ट के आधार पर दस्तावेजों की सुरक्षा को लेकर विभागीय स्तर पर आवश्यक कदम उठाये जायेंगे. इसको लेकर पत्र विभाग के निबंधक महानिरीक्षक रजनीश कुमार सिंह ने जारी किया है. बता दें कि राज्य के सभी निबंधन कार्यालयों में पुराने निबंधित दस्तावेजों की डिजिटाइजेशन का कार्य चल रहा है.
सुरक्षा की कमान किसी दूसरे एजेंसी को सौंपी जा सकती है
इसमें वर्ष 1995 से 2006 तक के निबंधित दस्तावेजों की डिजिटाइजेशन हो चुका है, जिसकी जानकारी घर बैठे ऑनलाइन भी प्राप्त की जा सकती है. रजिस्ट्री ऑफिस में सच्ची प्रति के लिए अप्लाई करने पर आसानी से उपलब्ध हो जा रहा है. लेकिन, 1995 से पहले के निबंधित दस्तावेज (पुरखों की संपत्ति) की जानकारी नहीं मिल पाती है. कई ऑफिस से दस्तावेज की चोरी होने की बात बतायी गयी है. जबकि, सुरक्षा में होमगार्ड जवानों की तैनाती है. इसके बाद विभाग ने नये सिरे से सुरक्षा ऑडिट कर सुरक्षा की कमान किसी दूसरे एजेंसी को सौंपी जा सकती है.
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वर्ष 2006 से शुरू है कंप्यूटराइज्ड रजिस्ट्री
वर्ष 2006 से जमीन दस्तावेजों की कंप्यूटराइज्ड रजिस्ट्री होती है. तब से अब तक की सभी निबंधित दस्तावेजों की जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध है. अभी रजिस्ट्री ऑफिस के रिकॉर्ड रूम में 1950 के बाद की जो निबंधित दस्तावेज है. वह पठनीय स्थिति में है. ऐसे में विभाग की तरफ से वर्ष 1950 से लेकर 1995 तक के सभी निबंधित दस्तावेजों की डिजिटाइजेशन करने का आदेश दिया गया है.