Bihar Land Registry बिहार में जमीन रजिस्ट्री के नए नियमों से स्टांप विक्रेता और दस्तावेज नवीस (कातिब) बेरोजगार हो सकते हैं, जिससे उनका भविष्य अंधेरे में दिखाई दे रहा है. नए पेपरलेस रजिस्ट्री सिस्टम की शुरुआत से पहले ही इन नियमों के खिलाफ विरोध तेज हो गया है. मुजफ्फरपुर के रजिस्ट्री ऑफिस में शुक्रवार को कातिबों ने काला बिल्ला लगाकर विरोध जताया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की.
नए नियमों का उद्देश्य और उसकी चुनौतियां
बिहार सरकार ने जमीन रजिस्ट्री में भ्रष्टाचार और गड़बड़ी को रोकने के लिए नए नियम लागू किए हैं. इन नियमों के तहत रजिस्ट्री प्रक्रिया पूरी तरह से डिजिटल कर दी गई है, जिससे स्टांप विक्रेताओं और कातिबों का काम प्रभावित हो सकता है. हालांकि, सरकार का कहना है कि यह कदम जमीन रजिस्ट्री में पारदर्शिता लाने के लिए उठाया गया है, लेकिन इसका उल्टा असर आम लोगों और रजिस्ट्री से जुड़े कर्मचारियों पर पड़ रहा है.
विरोध प्रदर्शन और उसकी वजह
मुजफ्फरपुर दस्तावेज नवीस संघ के सदस्य शुक्रवार को काला बिल्ला लगाकर विरोध में शामिल हुए. संघ का कहना है कि नए नियमों से काम की संख्या में भारी कमी आई है और उन्हें बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है. खासकर ई-निबंधन सॉफ़्टवेयर के माध्यम से शुरू हुई रजिस्ट्री प्रक्रिया ने उनकी रोजी-रोटी पर संकट खड़ा कर दिया है. अब पहले की तुलना में काफी कम रजिस्ट्री हो रही हैं, जिससे उनकी आय पर प्रतिकूल असर पड़ा है.
संघ ने यह भी आरोप लगाया कि नए सिस्टम से आम लोगों को भी परेशानी हो रही है. पुराने तरीके से रजिस्ट्री होने पर जितने मामले तेजी से निपटते थे, नए सिस्टम में प्रक्रिया धीमी हो गई है और लोग ज्यादा समय तक परेशान हो रहे हैं.
संघ के पदाधिकारियों की प्रतिक्रिया
मुजफ्फरपुर दस्तावेज नवीस संघ के अध्यक्ष संजीव कुमार ने कहा, “हमारा विरोध इस नई प्रणाली के कारण हमारी रोजी-रोटी पर पड़ रहे प्रतिकूल असर को लेकर है. यह प्रक्रिया आम लोगों के लिए भी समस्या पैदा कर रही है.” सचिव रणधीर कुमार ने भी कहा कि जब तक सरकार इस बारे में कोई ठोस कदम नहीं उठाती, उनका विरोध जारी रहेगा.
सिस्टम की खामियां और समाधान की मांग
संघ के सदस्य यह भी दावा कर रहे हैं कि नए नियमों में कई खामियां हैं, जिन्हें ठीक किए जाने की आवश्यकता है. उनका कहना है कि यह केवल दस्तावेज नवीसों और स्टांप विक्रेताओं के लिए ही नहीं, बल्कि आम लोगों के लिए भी परेशानी का कारण बन सकता है.
सरकार ने स्टांप विक्रेताओं और कातिबों के लिए कोई वैकल्पिक रोजगार प्रदान करने का प्रस्ताव नहीं दिया है, जिससे यह स्थिति और जटिल हो गई है. संघ के पदाधिकारियों ने सरकार से जल्द ही इस मामले पर विचार करने और एक समाधान निकालने की अपील की है, ताकि उनका रोजगार सुरक्षित रहे और रजिस्ट्री प्रक्रिया भी लोगों के लिए सुगम हो.
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आखिरकार, क्या होगा समाधान?
यह देखने वाली बात होगी कि सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है. कातिबों और स्टांप विक्रेताओं की बढ़ती नाराजगी और प्रदर्शन के बीच, सरकार को जल्द ही कोई ठोस कदम उठाना होगा, ताकि दोनों पक्षों के हितों का संतुलन बना रहे और आम लोग बिना किसी परेशानी के रजिस्ट्री प्रक्रिया का लाभ उठा सकें.