Bihar: बालिका गृह कांड में ब्रजेश ठाकुर के कई करीबी सीबीआई के रडार पर

Bihar: पटना. बालिका गृह से हजारीबाग की किशोरी को रहस्यमय ढंग से गायब कर देने के मामले में सीबीआई को ब्रजेश ठाकुर के करीबियों की तलाश है. बच्ची को गायब करने में मानव अंग तस्करों का हाथ बताया जा रहा है. सीबीआई को इसमें ब्रजेश के करीबी लोगों की भी मिलीभगत की आशंका है.

By Ashish Jha | June 14, 2024 10:23 AM

Bihar: पटना. बिहार का चर्चित मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड एक बार फिर सुर्खियो में है. ब्रजेश ठाकुर और उसके एनजीओ सेवा संकल्प एवं विकास समिति पर तो सीबीआई की नजर थी ही, अब इससे जुड़े करीबियों पर भी सीबीआई की नजर है. सीबीआई ने एक बार फिर शहर के कई लोगों को रडार पर लिया है. एनजीओ से जुड़े रहे कई लोगों से मामले में सीबीआई पूछताछ कर सकती है.

कई चौकानेवाले तथ्य मिले

जानकारी के अनुसार इस मामले की जांच के दौरान सीबीआई को कई चौकानेवाले तथ्य मिले हैं. उन्हीं में से एक मामला बालिका गृह से हजारीबाग की किशोरी को रहस्यमय ढंग से गायब कर देने का है. बच्ची मानसिक और शारीरिक रूप से दिव्यांग थी. बच्ची को गायब करने में मानव अंग तस्करों का हाथ बताया जा रहा है. सीबीआई को इसमें ब्रजेश के करीबी लोगों की भी मिलीभगत की आशंका है. सीबीआई को ब्रजेश के करीबियों से जुड़े कई तथ्य बालिका गृह कांड की जांच के दौरान मिली है.

फर्जी रिलीज ऑडर पर सौंपी गयी लड़की

सीबीआई को पता चला है कि सीतामढ़ी सीडब्ल्यूसी के फर्जी रिलीज ऑर्डर पर बालिका गृह से 10 नवंबर, 2015 को हजारीबाग की बच्ची बाहर किया गया जो गायब हो गयी. जिस दिन फर्जी रिलीज ऑर्डर जारी हुआ था, उसी दिन बच्ची को लेने उसके फर्जी माता-पिता बालिका गृह मुजफ्फरपुर पहुंचे थे. फर्जी वोटर आई कार्ड बालिका गृह में दिया गया. माता-पिता की पहचान करने वाला हजारीबाग का नथुनी मुखिया भी फर्जी था. इसको लेकर बाद में 29 जुलाई 2023 को पटना सीबीआई थाना में एफआईआर दर्ज की गई थी.

नौ साल पुराना है मामला

सीबीआई सूत्रों के अनुसार, जांच में पाया गया है कि जिस फर्जी रिलीज ऑर्डर पर बच्ची को बालिका गृह से उसके फर्जी पिता को दिया गया था, उस पर सीतामढ़ी सीडब्ल्यूसी की तत्कालीन अध्यक्ष मानसी समदर और सदस्य रेणु कुमारी सिंह का फर्जी हस्ताक्षर किया गया था. रिलीज ऑर्डर असली था या नकली इस संबंध में किसी तरह की जांच बालिका गृह का संचालन कर रही एनजीओ के कर्मचारियों ने नहीं की थी. उसी दिन बच्ची को उनके फर्जी अभिभावकों को सौंपसौं दिया गया था. नौ साल पहले गायब हुई दिव्यांग बच्ची का सीबीआई का कोई सुराग नहीं मिल पाया है.

फरार बताई गईं दो किशोरियों का भी नहीं मिला सुराग

बालिका गृह कांड की जांच के दौरान में पता चला था कि गृह से 24 नवंबर 2013 को चार किशोरियां फरार हो गई थीं. लेकिन, ये बच्चियां कहां और कैसे गायब हुईं, इसकी जांच नहीं हुई थी. बालिका गृह कांड के खुलासे के बाद पुलिस ने 2018 में इसकी जांच की. पुलिस ने चार में दो का सुराग ढूंढ, लेकिन फुलपरास और नई दिल्ली के पहाड़गंज की दो किशोरी का कोई सुराग नहीं मिला.

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अब तक 18 दोषियों को सुनाई जा चुकी है सजा

बालिका गृह की जांच के दौरान किशोरियों ने पुलिस अधिकारियों के समक्ष यह बयान दिया था कि वहां किशोरी की हत्या कर शव को गायब कर दिया गया था. इसके बाद बालिका गृह को खोदवा कर देखा गया और सिकंदरपुर श्मशान घाट के साथ बूढ़ी गंडक नदी में भी शव की तलाश मेंजां में जांच की गई. लेकिन, सीबीआई को कहीं कोई सुराग नहीं मिला था. बालिका गृह कांड में 18 दोषियों को दिल्ली विशेष कोर्ट से सजा सुनाई गई है. ब्रजेश ठाकुर समेत अन्य आरोपित तिहाड़ जेल में मौत होने तक आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं.

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