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Bihar News: मुजफ्फरपुर में कुत्तों का आतंक, हर घंटे दो लोग बन रहे शिकार, नौ महीनों में 6000 से अधिक लोग घायल

Bihar News: बिहार के मुजफ्फरपुर में जिले में कुत्तों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है. आलम यह है कि कुत्ते हर घंटे में दो व्यक्तियों को अपना शिकार बना रहे हैं. छठ पूजा के दौरान भी जिले भर में सौ से अधिक लोगों को कुत्ते ने शिकार बनाया है. शनिवार को सदर अस्पताल में इंजेक्शन लेने वाले की लंबी कतार लगी थी.

By Anshuman Parashar | November 9, 2024 9:04 PM

Bihar News: बिहार के मुजफ्फरपुर में जिले में कुत्तों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है. आलम यह है कि कुत्ते हर घंटे में दो व्यक्तियों को अपना शिकार बना रहे हैं. छठ पूजा के दौरान भी जिले भर में सौ से अधिक लोगों को कुत्ते ने शिकार बनाया है. शनिवार को सदर अस्पताल में इंजेक्शन लेने वाले की लंबी कतार लगी थी. शहरी क्षेत्र में भी दो दर्जन लोगों को कुत्ते ने काट लिया. सिकंदरपुर से आये राजू कुमार ने बताया कि छठ घाट से लौटने के दौरान उसे कुत्ते ने काट लिया. शुक्रवार को भी वह इंजेक्शन लेने आये थे. लेकिन लौट जाना पड़ा.

रोजाना करीब 34 से 45 लोग आते हैं वैक्सीन लेने

सदर अस्पताल में रोजाना करीब 34 से 45 लोग वैक्सीन लगवाने आते हैं. अस्पताल प्रबंधन की माने तो अस्पताल में रेबिज के इंजेक्शन के लिये कोई चार्ज नहीं हैं. जबकि, बाहर इंजेक्शन की कीमत अधिक लेकर दिये जाते हैं. विशेषज्ञों की मानें तो कुत्ते के काटने पर तीन एंटी रेबिज के इंजेक्शन लगते हैं. अगर कुत्ते ने किसी को जगह-जगह पर गंभीर रूप से काटा है और वह ब्रेन के नजदीक है तो ऐसे में रेबिज इन गोलो ग्लोब्युलिन इंजेक्शन लगाना अतिआवश्यक हो जाता है. इस इंजेक्शन को जहां-जहां काटने का निशान होता है, वहां-वहां इनफेक्शन को ब्लाॅक करने के लिए तुरंत लगाना पड़ता है.

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नौ माह में छह हजार लोगों को बनाया शिकार

सरकारी अस्पताल के आंकड़ों पर गौर करें तो नौ महीनों में कुत्ते के शिकार हुए 6000 से ज्यादा लोग सदर अस्पताल एंटी रैबीज वैक्सीन लगवाने पहुंचे हैं. शहरी क्षेत्र में घूमने वाले आवारा कुत्तों को पकड़ने का जिम्मा नगर निगम का है, लेकिन काफी समय से नगर निगम के अधिकारी इस ओर ढीली कार्रवाई की हुई है. शहर में प्रमुख सड़क व चौराहों समेत अधिकांश गलियों में आवारा कुत्ते नजर आ रहे हैं. संख्या अधिक होने से लोगों को कुत्तों के हमला करने का डर रहता है. कई इलाके तो ऐसे हैं जहां रात में गलियों से निकलना दुश्वार हो जाता है. सदर अस्पताल में सुबह से ही मरीजों की भीड़ लगना शुरू हो जाती है

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