मुजफ्फरपुर के इन 20 पंचायतों में बनेंगे चाइल्ड फ्रेंडली, जानें क्या होगा इसमें खास
Bihar News: मुजफ्फरपुर जिले के 20 पंचायतों को ‘चाइल्ड फ्रेंडली’ बनाने के लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं. यह महत्वपूर्ण पहल एक्शन एड, यूनिसेफ और महिला विकास निगम के संयुक्त प्रयास से की जा रही है.
Bihar News: मुजफ्फरपुर जिले के 20 पंचायतों को ‘चाइल्ड फ्रेंडली’ बनाने के लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं. यह महत्वपूर्ण पहल एक्शन एड, यूनिसेफ और महिला विकास निगम के संयुक्त प्रयास से की जा रही है. सकरा, बोचहां, मुशहरी और बंदरा के पंचायतों को मॉडल के रूप में विकसित किया जाएगा. पहले चरण में विशेष रूप से उन पंचायतों को चुना गया है, जहां दलित समुदाय की आबादी अधिक है.
चाइल्ड फ्रेंडली पंचायत का मुख्य उद्देश्य क्या है?
‘चाइल्ड फ्रेंडली पंचायत’ का मुख्य उद्देश्य इन क्षेत्रों में बच्चों के लिए एक सुरक्षित और प्रेरणादायक वातावरण बनाना है, जहां वे न केवल शिक्षा प्राप्त कर सकें, बल्कि खेलकूद और कला में भी अपनी प्रतिभा का विकास कर सकें. इन पंचायतों के बच्चों ने अपनी आवश्यकताओं और मांगों को लेकर एक्शन एड को पत्र भेजा है, साथ ही DM को भी ज्ञापन देकर संसाधन मुहैया कराने की अपील की है.
कहां शुरू होगा यह काम?
- मुशहरी क्षेत्र- नरौली, डुमरी, मणिका हरिकेश, मणिका विशुनपुर चांद, जमालाबाद
- बोचहां क्षेत्र-विशुनपुर जगदीश, नरकटिया, झपहां, गरहा, कर्णपुर उत्तरी
- बंदरा क्षेत्र- बरगांव, मतलुपुर, मुन्नी बैंगरी, तेतरी उर्फ हसन नगर, नूनफारा
- सकरा क्षेत्र- बेरुआ डीह, भर्थीपुर, चंदनपट्टी, पैगंबरपुर, सकरा वाजिद
चाइल्ड फ्रेंडली पंचायत’ में होंगे ये सुधार
- सभी स्कूलों में दीवारों के निर्माण और शौचालय की सुविधाएं
- पंचायतों में लाइब्रेरी की स्थापना
- स्कूलों में खेल मैदान का निर्माण और खेल सामग्री की उपलब्धता
- सभी स्कूलों में सैनिटरी वेडिंग मशीन की स्थापना
- बच्चों के अधिकारों का उल्लेख स्कूल की दीवारों पर किया जाएगा
- पंचायतों में पढ़ाई के लिए एक अनुकूल और सुरक्षित वातावरण तैयार किया जाएगा
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संयुक्त राष्ट्र संघ का सहयोग
संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा प्रस्तावित मिलेनियम गोल्स के तहत बच्चों के लिए बेहतर वातावरण बनाने की दिशा में यह पहल की जा रही है. एक्शन एड इस अभियान का नेतृत्व कर रहा है, और पंचायती राज विभाग भी इसमें सक्रिय रूप से सहयोग कर रहा है. इस अभियान का उद्देश्य उन पंचायतों में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देना है, जहां लड़कियों की साक्षरता दर बहुत कम है और लड़कों की अपेक्षा लड़कियों का जन्म दर भी ज्यादा है.