Bihar News: मुजफ्फरपुर सदर अस्पताल स्थित पुराने महिला वार्ड के पीछे फेंका हुआ बायो मेडिकल वेस्ट (कचरा) संक्रमण का कारण बन सकता है. मेडिकल कचरे को महिला सर्जिकल वार्ड समेत कई वार्डों के आसपास खुले में फेंका गया है. इनमें दवाओं, सिरिंज, रैपर, पट्टी समेत अन्य चीजें शामिल हैं. जिस तरह से मुजफ्फरपुर में पर्यावरण असंतुलन का खतरा बना हुआ है, उसमें बायो मेडिकल वेस्ट स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया का मानना है कि बायो मेडिकल कचरा मौत का सामान है.
संक्रमण का खतरा
सदर अस्पताल में ऐसी स्थिति तब है जबकि बायोमेडिकल कचरा निष्पादन के लिए टेंडर दिया गया है. अस्पताल प्रबंधक प्रवीण कुमार बताते हैं कि पूरे राज्य के सरकारी अस्पतालों से बायो मेडिकल वेस्ट के डिस्पोजल की जवाबदेही एजेंसी को दी गई है. प्रबंधन की यह जवाबदेही बनती है कि समय पर बायो मेडिकल वेस्टेज का डिस्पोजल कराए. इधर सदर अस्पताल के अलावा टीबी अस्पताल व सीएचसी हैं. इसके अलावा 200 से अधिक निजी अस्पताल व नर्सिंग होम भी चल रहे हैं. इनका भी मेडिकल वेस्ट शामिल होता है. इसमें ग्लव्स व मास्क भी शामिल होते हैं.
Also Read: Bihar News: मुजफ्फरपुर सदर अस्पताल के दवा काउंटर पर उलझीं दो महिलाएं, पर्ची काउंटर पर हंगामा
ऐसे होता है कचरे का निस्तारण
सदर अस्पताल सहित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व निजी अस्पतालों से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए शासन की ओर से एक निजी संस्था को जिम्मेदारी दे गयी है. तीन तरह के रंगों के डिब्बों में बायो मेडिकल वेस्ट रखा जाता है. दो तरह का बायोमेडिकल वेस्ट होता है सूखा व गीला. एक डिब्बे में अस्पतालों से निकलने वाली प्लास्टिक रखी जाती है, जबकि दूसरे डिब्बे में सिरिंज रखा जाता है. तीसरे डिब्बे में ऊतक यानी अस्पतालों से निकलने वाले मांस के लोथड़ों को रखा जाता है. बायो मेडिकल वेस्ट को गाड़ियों से एकत्रित कराया जाता है. जिसे बेला स्थित प्लांट में ले जाकर निस्तारित किया जाता है. जानकार बताते हैं कि ये गाड़ियां रोजाना अस्पतालों तक नहीं जा पाती हैं, जिसे इधर-उधर ही कचरा फेंक दिया जाता है.