Bihar News: नए साल के मौके पर लौटीं 30 घरों की खुशियां, पंजाब के फार्म से बंधक मजदूर हुए आजाद

Bihar News: पंजाब के आलू फार्म में बंधक बनाकर रखे गए सीतामढ़ी के 30 मजदूर आज घर वापस आ गए हैं. इनमें कुछ नेपाल के भी थे. सीतामढ़ी पुलिस एवं एसोशिएशन फॉर वॉलंट्री एक्शन ने बचपन बचाओ आंदोलन के तहत यह कार्रवाई की है.

By Aniket Kumar | January 1, 2025 7:49 PM

Bihar News: नए साल के मौके पर सीतामढ़ी के 30 मजदूरों के घरों में खुशियां लौटी आई हैं. पंजाब के कपूरथला जिला के आलू फॉर्म में बिहार के सीतामढ़ी और नेपाल के 30 मजदूरों को बंधक बनाया गया था. आज नए साल के मौके पर इन सभी को मुक्त करा कर इन्हें अपने घर पहुंचाया गया है. सीतामढ़ी पुलिस एवं एसोशिएशन फॉर वॉलंट्री एक्शन ने बचपन बचाओ आंदोलन के तहत यह कार्रवाई की है. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के निर्देश पर पंजाब पुलिस के सहयोग से बंधक बने इन मजदूरों को मुक्त कराया गया है. 

सीतामढ़ी से पंजाब गई टीम

जानकारी के अनुसार, सीतामढ़ी डीएम रिची पांडेय के निर्देश पर डीएसपी नोडल विशेष किशोर पुलिस की टीम नाबालिग एवं वयस्क मजदूरों को मुक्त करवाने के लिए पंजाब गई और सभी बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराया. सीतामढ़ी पुलिस टीम का नेतृत्व महिला थाना की बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी रश्मि कुमारी ने किया. वही एसोसिएशन फॉर वॉलंटरी एक्शन ( बचपन बचाओ आंदोलन) के वरिष्ठ केन्द्रीय निदेशक मनीष शर्मा ने मामले पर संज्ञान लिया जिसके बाद यह बड़ी कारवाई हुई है. बता दें, चार महीने पहले सीतामढ़ी जिले के सुरसंड प्रखंड क्षेत्र के मेघपुर गांव से नाबालिग और कुछ वयस्क मजदूरों को अच्छी मजदूरी दिलाने का झांसा देकर पंजाब के कपूरथला जिला ले जाया गया था. परिजनों की शिकायत के बाद यह कार्रवाई की गई.

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16 घंटे कराई जाती थी मजदूरी

जिन बच्चों को बंधक बनाया गया है, वे सभी सीतामढ़ी जिले के सुरसंड प्रखंड के मेघपुर गांव के है, जो पंजाब के जालंधर में फंसे हुए थे. ग्रामीणों ने बताया कि बंधकों में अधिकांश बच्चे महादलित परिवारों के नाबालिग बच्चे हैं, जिन्हें बहला फुसला कर पंजाब ले जाया गया था. इन बच्चों को अमानवीय तरीके से बंधक बनाकर रखा गया था. उनसे 16-16 घंटों तक मजदूरी कराई जा रही थी. यहां तक कि घरवालों और रिश्तेदारों से बात नहीं करने दिया जा रहा था. इस दौरान जो बच्चे भागने का प्रयास करते थे तो उनके साथ बुरी तरह से मारपीट की जाती थी.

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