Bihar News: कुपोषित बच्चों की पहचान कर भेजने के निर्देश के बाद भी विभाग उदासीन, पढ़ें राष्ट्रीय पोषण सप्ताह पर विशेष

Bihar News: पोषण पुनर्वास केंद्र प्रभारी पवन शर्मा ने कहा कि सभी प्रखंडों की आशा और फ्रंट लाइन वर्कर को हर महीने दो बच्चों को यहां भेजने का निर्देश दिया गया है, लेकिन सभी प्रखंडों से बच्चे नहीं आ रहे हैं.

By Radheshyam Kushwaha | August 31, 2024 8:19 PM

Bihar News: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के कुपोषित बच्चों को पौष्टिक आहार देकर स्वस्थ बनाने के लिए सदर अस्पताल में पोषण पुनर्वास केंद्र चल रहा है. यहां बच्चों के इलाज के लिए डॉक्टर ओर देखभाल के लिए प्रत्येक शिफ्ट में दो एएनएम कार्यरत हैं. बच्चों के पोषण के लिए डायट चार्ट बना हुआ है. हर दूसरे-तीसरे दिन बच्चों की जांच होती है, लेकिन सरकारी विभागों की उदासीनता के कारण यहां बेड खाली रहते हैं. यहां बच्चों के पोषण केलिए 20 बेड बनाया गया है, लेकिन यह कभी नहीं भरता. जाड़े के दिनों में यह खाली हो जाता है. फिलहाल यहां नौ बच्चे भरती हैं, अन्य बेड खाली है. एएइस का मुख्य कारण डॉक्टरों ने कुपोषण माना है. बावजूद यहां प्रखंडों के आंगनबाड़ी सेंटरों और पीएचसी से बच्चे नहीं भेजे जा रहे हैं. नतीजा सरकारी सुविधाओं का लाभ कुपोषित बच्चों को नहीं मिल रहा है और उन पर हमेशा बीमारियों का खतरा बना रहता है.

छह महीने से 59 महीने के बच्चों का इलाज

पोषण पुनर्वास केंद्र में छह महीने से 59 महीने तक के वैसे बच्चों को रखा जाता है, जो आंगनबाड़ी सेंटरों, पीएचसी या सदर अस्पताल की जांच में कुपोषित पाए जाते हैं. यहां बच्चों की जांच के लिए शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ एमएन कमाल नियुक्त हैं. बच्चों को पौष्टिक भोजन देने के लिए रसाइया भी है. बच्चे के साथ एक अभिभावक के रहने की भी व्यवस्था है, जिसे जीविका की रसोई से निशुल्क भोजन दिया जाता है. नियम के अनुसार बच्चों को 14 से 21 दिन रखना है और उसकी जांच के बाद स्वस्थ पाये जाने पर उसे छोड़ दिया जाता है. जितने तक अभिभावक बच्चे के साथ यहां रहते हैं, उन्हें एक सौ रुपये रोज के हिसाब से पोषण भत्ता भी दिया जाता है.

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पोषण पुनर्वास केंद्र प्रभारी पवन शर्मा ने कहा कि सभी प्रखंडों की आशा और फ्रंट लाइन वर्कर को हर महीने दो बच्चों को यहां भेजने का निर्देश दिया गया है, लेकिन सभी प्रखंडों से बच्चे नहीं आ रहे हैं. हमलोगों की कोशिश है कि सभी प्रखंडों के कुपोषित बच्चों की पहचान कर यहां लाए जाए, जिससे सही तरीके से उसका पोषण हो सके.

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