बिहार के इस जिले में बनेगा हस्तशिल्प और व्यंजन का नया केंद्र, खादी मॉल में अर्बन हाट की शुरुआत
Bihar News: मुजफ्फरपुर के पीएनटी चौक स्थित खादी मॉल को अब एक बड़े बाजार के रूप में विकसित किया जा रहा है. मॉल परिसर में अर्बन हाट तैयार हो रहा है, जहां 50+ स्टॉल्स पर हस्तशिल्प, कुटीर उत्पाद और बिहार के स्वादिष्ट व्यंजन उपलब्ध होंगे. चार महीनों में काम पूरा होगा.
Bihar News: मुजफ्फरपुर के पीएनटी चौक स्थित खादी मॉल को अब एक बड़े बाजार के रूप में विकसित करने की तैयारी शुरू हो गई है. मॉल परिसर में एक भव्य अर्बन हाट बनाया जा रहा है, जिसमें 50 से अधिक स्टॉल लगाए जाएंगे. इन स्टॉल्स पर रेडिमेड कपड़े, मधुबनी पेंटिंग, सुजनी कला से बने वस्त्र, हस्तकला, शिल्पकला, मोमबत्ती, अगरबत्ती, सरसों तेल, साबुन, जूट एवं बांस के उत्पादों के साथ-साथ लहठी, अचार, पापड़, सत्तू और देशी खानपान जैसे बिहार के पारंपरिक व्यंजन उपलब्ध होंगे.
चार महीने में होगा तैयार, स्थानीय कारीगरों को मिलेगा बढ़ावा
पर्यटन एवं उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा की पहल पर शुरू हुई इस योजना के तहत अगले चार महीनों में अर्बन हाट का निर्माण पूरा किया जाना है. इसका उद्देश्य स्थानीय कारीगरों और कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहित करना है. इन स्टॉल्स का संचालन खादी और ग्रामोद्योग से जुड़ी संस्थाओं द्वारा किया जाएगा. सरकारी योजनाओं के तहत संचालित कुटीर उद्योगों को प्राथमिकता दी जाएगी.
सीधे लाभ मिलेगा कारीगरों को
अर्बन हाट में होने वाली बिक्री से प्राप्त राशि सीधे उन संस्थाओं और कारीगरों के खाते में जाएगी, जो अपने उत्पाद यहां बेचेंगे. इससे न केवल हस्तशिल्प और कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि राष्ट्रीय और राज्य स्तर के हथकरघा और हस्तशिल्प कारीगरों को अपना सामान बेचने का सुनहरा मौका मिलेगा।
खादी मॉल को मिला वित्तीय अधिकार
खादी मॉल को अब स्वतंत्र वित्तीय अधिकार प्राप्त हो गया है। पहले यहां उत्पादों की आपूर्ति पटना से की जाती थी, लेकिन अब मॉल खुद से मानक उत्पादों की खरीदारी कर सकेगा. इससे स्थानीय कारीगरों को अधिक काम के अवसर मिलेंगे. खासकर सुजनी कला और अन्य पारंपरिक शिल्पकला के कारीगरों को नई पहचान मिलेगी.
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खादी मॉल का बढ़ता आकर्षण
मॉल परिसर को खूबसूरत बनाने का काम भी चल रहा है. अर्बन हाट के शुरू होने के बाद यहां ग्राहकों की संख्या और बढ़ेगी. यह बाजार न केवल खरीदारी का केंद्र बनेगा बल्कि स्थानीय कला और संस्कृति को बढ़ावा देने का प्रमुख केंद्र भी होगा. यह पहल मुजफ्फरपुर के कुटीर उद्योगों और हस्तशिल्प कारीगरों के लिए एक बड़ी उपलब्धि साबित होगी. साथ ही, स्थानीय व्यंजन और शिल्पकला के संरक्षण में भी अहम भूमिका निभाएगी.