बिहार पुलिस का अनोखा न्याय: जिस दारोगा पर लगा लेन-देन का आरोप, उसी से करायी जांच, व्यवसायी को भेजा जेल
मुजफ्फरपुर के मोतीपुर थाने में तैनात जिस दारोगा के ऊपर आरोप लगे हैं उसी दारोगा को अपने से ही जुड़े केस की जांच के लिए आइओ बना दिया गया. दारोगा जी ने शिकायत करने वाले कपड़ा व्यवसायी को गिरफ्तार कर जेल भी भेज दिया.
मुजफ्फरपुर के मोतीपुर थाने में तैनात जिस दारोगा के खिलाफ कपड़ा व्यवसायी राम अयोध्या पंडित के लगाये आरोप के खिलाफ जांच की जा रही है. उसी दारोगा को कपड़ा व्यवसायी के खिलाफ दर्ज एक केस का आइओ बना दिया गया है. यहीं नहीं, आनन-फानन में लेन देन के मामले में कपड़ा व्यवसायी को गिरफ्तार कर जेल भी भेज दिया गया है.
इस मामले में दर्ज है एफआइआर
गोपीनाथपुर निवासी मोहमद इंतेखाब आलम के बयान पर कपड़ा व्यवसायी के खिलाफ 2 लाख 70 हजार रुपये नहीं देने के मामले में एफआइआर दर्ज की गई. अनुसंधानक दारोगा अमित कुमार को बनाया गया है. एफआइआर में आरोप है कि राम अयोध्या पंडित ने आवेदक के फूफा मोहमद मोकिमुद्दीन से चार लाख रुपये कर्ज लिया था. इसके पूर्व में भी मोतीपुर पुलिस ने राम अयोध्या पंडित को हिरासत में लिया था, तब उक्त मामले में कोई एफआइआर दर्ज नहीं थी.
राम अयोध्या पंडित का आरोप
राम अयोध्या पंडित का आरोप था कि उन्हें छोड़ने के एवज में दारोगा अमित कुमार ने मोबाइल के माध्यम से 90 हजार रुपये व दो लाख 70 हजार रुपये के एक चेक पर जबरन हस्ताक्षर कराया गया था. इतनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद उन्हें पुलिस हिरासत से छोड़ा गया था. उक्त मामले में राम अयोध्या पंडित द्वारा आइजी को दिये गए लिखित शिकायत के आधार पर प्रशिक्षु आइ पी एस जांच के लिए मोतीपुर पहुंचे थे. तकरीबन डेढ़ घंटे तक लोगों का बयान दर्ज किया था. उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट आइजी को सौंप दिया है.
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बेटे ने बतायी ये बात
राम अयोध्या पंडित के पुत्र सोनू कुमार ने बताया कि छह अप्रैल की सुबह फिर से मोतीपुर पुलिस ने उसके पिता को दुकान से हिरासत में ले लिया. पूछने पर कोई जवाब नहीं दिया गया. इसके बाद पुलिस के वरीय पदाधिकारियों से शिकायत की गयी. परंतु कोई कार्रवाई नहीं हुई. पूरी रात हिरासत में रखा गया. एफआइआर दर्ज कर सात अप्रैल को उन्हें जेल भेज दिया गया. मोबाइल रख लिया गया.
बिना पर्यवेक्षण के जेल भेजने पर मानवाधिकार आयोग को शिकायत
सोनू कुमार ने बताया कि लेन-देन का आरोप लगाया गया है. इस में बगैर पर्यवेक्षण, बगैर गिरफ्तारी वारंट जारी किए गए आनन- फानन में उनके पिता को पुलिस ने जेल भेजा है. इसको लेकर बिहार राज्य मानवाधिकार, प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग को शिकायत भेजकर मामले की जांच की मांग की है.वे एफआइआर निरस्तीकरण के लिए उच्च न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाएंगे.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan