लावारिस शवों के ””””वारिस”””” बन जाते हैं हरेंद्र
शव को पहुंचाते हैं अस्पताल, तब होता है अंतिम संस्कार
वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्तियों में से 50 प्रतिशत लोगों की मौत समय पर इलाज नहीं मिल पाने की वजह से होती है. ऐसा मामला सरकारी एजेंसियों का है. लेकिन कुछ नेक दिल इंसान आज भी हैं जो बिना किसी लोभ, लालच के इन घायलों की मदद करते हैं. इतना ही नहीं लावारिस शवों की अंतिम यात्रा तक पहुंचाने में भी ये मददगार बनते हैं. ऐसे तीन नेक दिल इंसान (गुड सेमेरिटन) को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर शहीद खुदीराम बोस मैदान में जिला प्रशासन ने सम्मानित किया है. समारोह में उप मुख्यमंत्री सह जिले के प्रभारी मंत्री विजय कुमार सिन्हा के हाथों दस-दस हजार रुपये का चेक प्रदान कर उन्हें सम्मानित किया गया. महदेईयां मीनापुर के हरेंद्र प्रसाद उर्फ उमाशंकर प्रसाद अहियापुर थाना क्षेत्र में अज्ञात शव व दुर्घटना में क्षत-विक्षत शव को निस्वार्थ भाव से उठाते हैं. वे उन्हें एसकेएमसीएच पहुंचाने में पुलिस की मदद करते हैं. वहीं दो नेक दिल इंसान ऐसे हैं जिन्होंने दुर्घटना में घायलों की मदद कर उनकी जिंदगी बचाई है. इसमें जैतपुर थाना क्षेत्र नरगी निवासी राजेश कुमार ने 23 जून को पोखरैरा टॉल प्लाजा के नजदीक घायल रिंकू देवी को अस्पताल पहुंचाया था. वे हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गयी थीं. वहीं जैतपुर के खैरा निवासी ओम प्रकाश कुमार ने 25 अक्टूबर 2022 को पोखरैरा के समीप हुए सड़क दुर्घटना में भिखारी सहनी को अस्पताल पहुंचाकर उनकी जिंदगी बचाई. इस घटना में बाइक पर सवार भिखारी सहनी के साथ के मुन्ना कुमार भी जख्मी हुए थे. लेकिन भिखारी सहनी की हालत बहुत गंभीर थी. डीटीओ कुमार सत्येंद्र यादव ने बताया कि सरकार द्वारा इस योजना की शुरुआत के पीछे का मकसद यह है कि लोग दुर्घटना में घायलों की मदद को आगे आयें. उनसे पुलिस कोई पूछताछ नहीं कर सकती है या किसी प्रकार का दबाव नहीं बना सकती है. लोग पुलिस के पूछताछ के डर के कारण घायलों की मदद से पीछे हट जाते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. क्या है गुड सेमेरिटन योजना : गुड सेमेरिटन वह व्यक्ति है जो सद्भावपूर्वक, भुगतान या पुरस्कार की अपेक्षा के बिना और देखभाल, विशेष संबंध के किसी भी कर्तव्य के बिना दुर्घटना में घायल व्यक्ति को तत्काल सहायता या आपातकालीन देखभाल प्रदान करने के लिए स्वेच्छा से आगे आता है. यह कानून सड़क दुर्घटना के पीड़ितों का जीवन बचाने के लिए उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों पर उत्पीड़न से बचाता है. अधिकांश मामलों में लोग पुलिस उत्पीड़न, अस्पतालों में हिरासत में लिए जाने और लंबी कानूनी औपचारिकताओं के डर से सड़क पर घायल दुर्घटना पीड़ितों की मदद करने से हिचकिचाते हैं. इसीलिए इस कानून को लाया गया था.
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