BRABU Muzaffarpur: बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों और कॉलेजों में नियुक्त यूजीसी स्केल प्राप्त करने वाले रेगुलर प्राध्यापक ही पीएचडी के लिए गाइड बन पाएंगे. विश्वविद्यालय ने सभी पीजी विभागाध्यक्षों को यह स्पष्ट रूप से बता दिया है. ऐसे में नियमित प्राध्यापकों के पास यदि सीट नहीं हों तो अभ्यर्थियों को गाइड खोजने में परेशानी होगी. विशेषकर कॉमर्स में शिक्षकों की कमी है. 2021 सत्र में कोर्स वर्क पूरा करने वाले अभ्यर्थियों पर भी विश्वविद्यालय की नयी रिसर्च पॉलिसी प्रभावी होगी. कुलपति प्रो. दिनेश चंद्र राय ने बताया कि रिसर्च सुपरवाइजर चुनने में अभ्यर्थियों को उत्पीड़न झेलना पड़ता था. उन्हें परेशानी नहीं हो इसको लेकर विश्वविद्यालय ने नयी रिसर्च पॉलिसी तैयार की है. इसमें अब अभ्यर्थियों से ही तीन-तीन गाइड के नाम मांगे जाएंगे. उनमें से जो गाइड बनने के लिए सहमत होंगे.
गाइड आवंटन के लिए विकल्प पर होगा विचार
विश्वविद्यालय की ओर से संबंधित अभ्यर्थी को गाइड आवंटित कर दिया जाएगा. कुलपति ने स्पष्ट रूप से कहा कि जिन शिक्षकों को यूजीसी स्केल मिल रहा हो और वे नियमित रूप से विश्वविद्यालय व अंगीभूत कॉलेजों में सेवा दे रहे हों. वही अब गाइड बनेंगे. कुलपति ने कहा कि जिन अभ्यर्थियों का कोर्स वर्क पूरा हो चुका है और वहां रेगुलर शिक्षक के पास यदि सीट नहीं हो तो उनके लिए गाइड आवंटन के लिए विकल्प पर विचार किया जाएगा.
विश्वविद्यालय में कंप्यूटर साइंस और शिक्षा विषय का अपना अलग विभाग नहीं है. कंप्यूटर साइंस का संचालन विश्वविद्यालय के गणित विभाग और बीएड का संचालन दर्शनशास्त्र विभाग में होता रहा है. इन विषयों में पैट उत्तीर्ण होने वालों का कोर्स वर्क भी इन्हीं विभागों में होता रहा है. साथ ही कंप्यूटर साइंस के लिए गणित व भौतिकी के शिक्षक ही गाइड बनते रहे हैं. ऐसे में अब अगले सत्र से इन विषयों में नामांकन की प्रक्रिया पर संशय है. कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय में इनका विभाग स्थापित होगा. ऐसा नहीं होने पर इन विषयों में नामांकन नहीं लिया जाएगा.