BRABU: हाईकोर्ट के आदेश पर कराया रजिस्ट्रेशन, कब होगी परीक्षा पता नहीं, अंधेरे में 20 हजार छात्रों का भविष्य
BRABU: बीआरए बिहार विश्वविद्यालय पर हाईकोर्ट के आदेश का भी कोई खास असर नहीं होता है. कोर्ट के आदेश पर आधा दर्जन बगैर संबद्धता वाले डिग्री काॅलेजों में दाखिला लेने वाले करीब 20 हजार विद्यार्थियों की परीक्षा पर अब कानूनी पेच फंस गया है.
BRABU: बीआरए बिहार विश्वविद्यालय पर हाईकोर्ट के आदेश का भी कोई खास असर नहीं होता है. कोर्ट के आदेश पर आधा दर्जन बगैर संबद्धता वाले डिग्री काॅलेजों में दाखिला लेने वाले करीब 20 हजार विद्यार्थियों की परीक्षा पर अब कानूनी पेच फंस गया है. हाइकोर्ट के आदेश के बाद विश्वविद्यालय ने विशेष परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन कराते हुए परीक्षा फॉर्म भी भरवा लिया है. लेकिन, महीनेभर बाद भी परीक्षा का कार्यक्रम तय नहीं हुआ है. विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि जल्द ही कानूनी सलाह लेकर परीक्षा का कार्यक्रम जारी किया जायेगा. स्नातक सत्र 2020-23 में दाखिला लेने वाले विद्यार्थी तीन साल से परीक्षा का इंतजार कर रहे हैं. नामांकन के बाद परीक्षा के समय विवि प्रशासन के संज्ञान में यह मामला आया कि संबंधित कॉलेजों की संबद्धता ही नहीं है. इस पर परीक्षा फॉर्म भरने से रोक दिया गया.
विश्वविद्यालय की ओर से की गयी जांच में यह मामला सामने आया कि अधिकारियों और काॅलेजों की मिली भगत से गलत तरीके से नामांकन की प्रक्रिया पूरी की गयी है. विद्यार्थियों की ओर से परीक्षा की मांग की गयी, तो संबंधित काॅलेज संचालकों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हाईकोर्ट ने विद्यार्थियों के भविष्य को देखते हुए विश्वविद्यालय को विशेष परीक्षा कराने का आदेश दिया है. विश्वविद्यालय ने पिछले महीने विद्यार्थियों का रजिस्ट्रेशन कराने के साथ ही परीक्षा फॉर्म भी भरवा लिया.
हिंदी की प्रतिनिधि कहानियां व संगोष्ठी की स्मारिका का विमोचन
बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग और अभिधा प्रकाशन की ओर से दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी की शुरुआत रविवार को हुई. पहले दिन तीन सत्रों में आयोजन हुआ. एक सत्र में कैसे बदल रही है कहानी विषय पर परिचर्चा भी हुई. वक्ताओं ने कहानियों के अलग-अलग काल खंड की यात्रा के बारे में बताया. अतिथियों ने बिहार की प्रतिनिधि कहानियां पुस्तक और संगोष्ठी की स्मारिका का विमोचन किया. इस सत्र का उद्घाटन लेखक व विचारक डॉ ऋषिकेश सुलभ ने किया. कथाकार डॉ रामधारी सिंह दिवाकर ने अध्यक्षता की, जबकि हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ सतीश कुमार राय ने संचालन किया.