बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में पीएचडी पर शोध चल रहा है. यूजीसी व सरकार की ओर से शोध की गुणवत्ता सुधारने के लिए लगातार निर्देश दिये जा रहे हैं, लेकिन यहां पूरा सिस्टम ही उलझाऊ हो गया है. स्थिति यह है कि सत्र 2020-21 के नामांकन की प्रक्रिया विवि प्रशासन दो साल में भी पूरी नहीं कर सका. काफी खीचतान के बाद छह महीने में लिखित परीक्षा का संशोधित रिजल्ट जारी हुआ, तो इंटरव्यू की तिथि तय करने में भी चार महीने का समय लग गया. 17 जुलाई को इंटरव्यू की प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है. अब पखवारे भर से फाइनल मेरिट लिस्ट का इंतजार चल रहा है. इस सत्र की नामांकन प्रक्रिया में विवि की ओर से कई ऐसे निर्णय भी लिये गये, जिस पर सवाल खड़े हुए. लिखित परीक्षा में दोनों प्रश्नपत्र ऑब्जेक्टिव दिये गये, तो इंटरव्यू के लिए तय समय खत्म होने के बाद कुछ अभ्यर्थियों को विशेष आदेश के जरिये अवसर दिया गया.
पैट-2020 के लिए आवेदन 2020 में ही लिया गया़ लेकिन 25 अगस्त 2021 को लिखित परीक्षा ली गयी. दोनों पेपर ऑब्जेक्टिव होने के कारण विवि ने आठ दिनों में रिजल्ट भी दे दिया. इस बीच छात्रों ने ऑब्जेक्टिव पेपर को लेकर विरोध कर दिया. साथ ही गलत सवाल पूछने का भी मामला सामने आ गया. लंबे इंतजार के बाद विवि ने मामले को संज्ञान में लिया और प्रश्नों को लेकर लिखित शिकायत मांगी. शिकायतों की जांच में प्रश्न गलत मिले, उसका एवरेज अंक अभ्यर्थियों को दिया गया. करीब छह महीने बाद फरवरी के दूसरे पखवारे में विवि ने संशोधित रिजल्ट जारी किया. इसमें 189 अभ्यर्थी सफल हो गये.
पैट-2020 के लिए 22 विषयों में 4331 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था. लिखित परीक्षा का रिजल्ट पहली बार जारी हुआ, तो 868 अभ्यर्थी सफल हुए थे. पहले विवि की ओर से 1414 सीटों पर नामांकन के लिए आवेदन लिया गया. फिर सीटों की संख्या भी बदल गयी. वहीं, संशोधित रिजल्ट में 189 अभ्यर्थी बढ़ गये, जिससे कुल 1057 हो गये. वहीं 297 अभ्यर्थी नेट क्वालिफाइ थे, जिन्हें लिखित परीक्षा से छूट दी गयी थी.
सत्र नियमित करने के लिए इस साल सत्र 2022 में नामांकन होना था, लेकिन अभी 2020 की प्रक्रिया अधूरी है. वहीं पैट-2021 की प्रक्रिया भी पेंडिंग है. आवेदन लिया जा चुका है. उसकी स्क्रीनिंग के बाद लिखित परीक्षा का कार्यक्रम निर्धारित करना है.