छाता चौक पर सहाय भवन के एक कमरे में स्थापित हुआ था बीआरएबीयू
छाता चौक पर सहाय भवन के एक कमरे में स्थापित हुआ था बीआरएबीयू
स्थापना दिवस :: 2 जनवरी 1952 को पटना विश्वविद्यालय से अलग होकर बना था बीआरएबीयू, 73 वर्षों की यात्रा में हासिल किये कई कीर्तिमान ::1992 में बिहार विश्वविद्यालय का नाम बदलकर बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय किया गया ————————————- वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर बीआरए बिहार विश्वविद्यालय दो जनवरी 2025 को 73 वर्षों का सफर पूरा कर रहा है. 2 जनवरी 1952 को यूनिवर्सिटी ऑफ बिहार की स्थापना पटना में की गयी थी. उस समय विश्वविद्यालय का मुख्यालय पटना में ही था. शिक्षाविद् व विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति डाॅ श्यामनंदन सहाय के प्रयासों के बाद बीआरएबीयू का मुख्यालय मुजफ्फरपुर में आया. यहां छाता चौक स्थित सहाय भवन के एक कमरे में ही विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी थी. वर्तमान में क्षेत्रफल की दृष्टि से यह बिहार का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है. स्थिति यह है कि स्नातक में एक सत्र में यहां 1.62 लाख स्टूडेंट्स नामांकित हैं. ऐसे में सिर्फ स्नातक के छात्रों की संख्या पांच लाख से अधिक है. विश्वविद्यालय में 39 अंगीभूत, तीन राजकीय और करीब 90 संबद्ध डिग्री कॉलेजों के साथ ही 10 लॉ और 60 से अधिक बीएड कॉलेज विश्वविद्यालय से जुड़े हैं. विश्वविद्यालय के रिकाॅर्ड के अनुसार पटना विवि से अलग होकर बिहार विश्वविद्यालय की स्थापना 2 जनवरी 1952 को हुई थी. 1960 में बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर, रांची विश्वविद्यालय रांची और भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर का विभाजन किया गया. 1961 में बिहार विश्वविद्यालय से विभाजित होकर मगध विश्वविद्यालय बना. वहीं 1973 में इसी से अलग होकर ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा की स्थापना हुई. 1990 में जयप्रकाश नारायण विश्वविद्यालय छपरा भी इसी से अलग होकर बना. 1992 से पूर्व इसकी ख्याति बिहार विश्वविद्यालय के रूप में थी. इसका नाम 1992 में बदलकर बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय किया गया. विश्वविद्यालय का नैक मूल्यांकन व क्वालिटी रिसर्च प्राथमिकता : कुलपति बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.दिनेश चंद्र राय ने कहा कि विश्वविद्यालय का गौरवशाली अतीत रहा है. ऐसे में नैक मूल्यांकन और गुणवत्तापूर्ण रिसर्च के माध्यम से इसे फिर से प्राप्त करने की कोशिश की जाएगी. इस वर्ष नैक मूल्यांकन पहली प्राथमिकता है. इसमें विवि को बेहतर ग्रेड मिले इसको लेकर पूरी कोशिश होगी. पीजी विभागों में अब शिक्षकों की नियुक्ति कर दी गयी है. ऐसे में शोध कार्यों में गुणवत्ता हो इसपर पूरा फाेकस होगा. विश्वविद्यालय में थ्योरी के साथ प्रायोगिक शिक्षा को भी बढ़ावा मिले, इसको लेकर सेंट्रल इंस्ट्रूमेंटेशन सेंटर और इंक्युबेशन सेंटर की शुरुआत की जाएगी. विश्वविद्यालय में छात्रों की संख्या काफी अधिक है. ऐसे में नामांकन, परीक्षा और परिणाम समय से हो. इसको लेकर कार्ययोजना बनायी जाएगी. पेंडिंग में काफी हद तक कमी आयी है. आगे की परीक्षाओं में जीरो पेंडिंग हो. इस दिशा में कार्य होगा.
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