स्वाधार गृह मामला : साक्ष्य के अभाव में ब्रजेश ठाकुर, मधु व कृष्णा बरी
स्वाधार गृह मामला : साक्ष्य के अभाव में ब्रजेश ठाकुर, मधु व कृष्णा बरी
-एससीएसटी कोर्ट ने तीनों को किया दोष मुक्त
-बालिका गृहकांड में तीनों आरोपित तिहाड़ जेल में काट रहे आजीवन कारावास की सजामुजफ्फरपुर.
स्वाधार गृह मामले में गुरुवार को विशेष एससी एसटी कोर्ट से ब्रजेश ठाकुर, मधु कुमारी उर्फ शाइस्ता परवीन और कृष्णा राम को बरी कर दिया गया है. पुलिस के आइओ, सूचक और विशेष लोक अभियोजक तीनों आरोपितों के खिलाफ न्यायालय में सजा के लिए पर्याप्त सबूत पेश नहीं कर पाये. इसलिए न्यायाधीश अजय कुमार मल्ल ने तीनों को दोष मुक्त कर दिया. इस मामले में आठ गवाहों की गवाही न्यायालय में करायी गयी थी. बालिकागृह कांड में तीनों तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं. गुरुवार को स्वाधार गृह में पेशी के लिए तिहाड़ जेल से ब्रजेश, मधु और कृष्णा को मुजफ्फरपुर लाया गया. स्टेशन पर पहुंचने के बाद दिल्ली पुलिस ने नगर थाने की पुलिस से सुरक्षा की मांग की. इसके बाद भारी सुरक्षा के बीच तीनों आरोपितों को न्यायालय ले जाया गया. शाम चार बजे सभी साक्ष्यों का अवलोकन करने के बाद न्यायाधीश अजय कुमार मल्ल ने तीनों आरोपितों की मौजूदगी में आरोपों से मुक्ति का फैसला सुनाया. इसके बाद पुन: तीनों को दिल्ली पुलिस तिहाड़ जेल वापस लेकर लौट गयी. चार्जशीट में लगे आरोप नहीं हुए साबित स्वाधार गृह से 11 महिलाएं और उनके चार बच्चों को लापता करने, फर्जी कागजात पर स्वाधार गृह में आवासित महिलाओं और बच्चों को सुविधा मुहैया कराने के नाम पर गबन के आरोप में ब्रजेश ठाकुर, उसकी राजदार मधु कुमारी और कृष्णा राम पर आरोप था. मामले में कोर्ट में मधु कुमारी और कृष्णा राम पर अलग ट्रायल चलाया गया और ब्रजेश ठाकुर पर इसी मामले में पृथक ट्रायल चलाया गया. फैसले के लिए दोनों ट्रायल में एक तिथि निर्धारित किया गया था. मामले में पुलिस के चार पदाधिकारी इंस्पेक्टर नीरू कुमारी, ज्योति कुमारी, आभा रानी, कलावती देवी और सूचक बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक दिवेश कुमार शर्मा चार्जशीट में लगाए गये आरोपों को न्यायालय में साबित नहीं कर पाये. साक्ष्य के अभाव में न्यायालय ने तीनों को बरी कर दिया.छह साल पहले दर्ज हुआ था केस
दिवेश कुमार शर्मा के प्रतिवेदन पर 30 जुलाई 2018 को महिला थाने में स्वाधार गृह कांड दर्ज किया गया था. इसमें सूचक ने आरोप लगाया था कि अनुविक्षण कमेटी के निरीक्षण के समय 20 मार्च 2018 को स्वाधार गृह में 11 महिलाएं और उनके चार बच्चे आवासित मिले थे. जब बालिकागृह कांड का उदभेदन हुआ, तो स्वाधार गृह का नौ जून 2018 को पुन: निरीक्षण कमेटी ने जायजा किया. तब उस समय गृह में ताला बंद पाया गया. उसमें आवासित महिलाएं उनके बच्चों का कोई सुराग नहीं मिला. जांच में पुलिस भी गृह में आवासित महिलाएं और उनके बच्चों को सत्यापित नहीं कर पायी. अब तक यह पता नहीं चला कि स्वाधार गृह में किन महिलाओं को आवासित कराया गया था. वह कहां की थीं और उन्हें गायब कैसे किया गया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है