-बेला में चल रही बैग कलस्टर की 42 इकाई
-904 जीविका दीदियां कर रहीं काममुजफ्फरपुर.
बियाडा में चल रहे बैग कलस्टर से हर माह ढाई करोड़ का टर्नओवर हो रहा है. यहां बैग उद्योग की 42 इकाई हैं, जिसमें 904 दीदियां काम कर रही हैं. हर कलस्टर से हर महीने औसत छह लाख का कारोबार हो रहा है. यहां से हर महीने करीब एक लाख बैग का उत्पादन हो रहा है. पिछले एक साल में बैग कलस्टर के कारेाबार में दोगुनी बढ़ोतरी हुई है. अब यहां से पूरे देश में बैग की सप्लाई की जा रही है. इस कलस्टर में दीदियां करीब एक सौ तरह के बैग बना रही हैं. जिसकी आपूर्ति विभिन्न कंपनियों के माध्यम से देश के कई राज्यों और महानगरों के मॉल में की जा रही है. जीविका दीदियां यहां करीब एक सौ वेराइटी का बैग बना रही हैं. एक बैग के निर्माण के एवज में कंपनियां दीदी को 60 रुपये देती हैं. एक दीदी बैग बना कर महीने में करीब नौ हजार का मेहनाताना पाती हैं. यहां की बनी बैग की डिमांड दूसरे राज्यों में अधिक है. इसके लिए कई बड़ी कंपनियां भी बैग की मार्केटिंग के लिए तैयार है. जीविका के गैर कृषि कार्य प्रबंधक विकास कुमार ने बताया कि बैग की डिमांड पहले से ज्यादा बढ़ी है. यहां का बैग गुणवत्ता और डिजायन में बेहतर है.कॉलेज बैग की सबसे अधिक डिमांड
बैग कलस्टर में हैंड बैग से लेकर ट्रॉली बैग सहित कई तरह के बैग बनाए जाते हैं, लेकिन यहां से कॉलेज बैग की डिमांड सबसे अधिक है. महानगरों में इसकी आपूर्ति ज्यादा हो रही है. जीविका दीदियों के साथ अब बैग कलस्टर के विस्तार की योजना भी बनायी जा रही है. आने वाले समय में इसके कारोबार में और तेजी आएगी. इसके लिए बैग निर्माण से अधिक संख्या में जीविका दीदियों को प्रशिक्षित किया जाएगा. दीदियों के प्रशिक्षण के बाद बैग उद्योग की इकाइयां बढ़ायी जाएगीबैग कलस्टर ने बनायी कंपनी, दीदियां खुद करेगी मार्केटिंग
बैग के बढ़ते डिमांड को देखते हुए बैग कलस्टर से जुड़ी दीदियों ने तिरहुत जीविका महिला बैग प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड बनायी है. इसके माध्यम से वे खुद मार्केटिंग करेंगी. जनवरी से दीदियां बैग की खुद मार्केटिंग करेगी. इससे दीदियों का मुनाफा बढ़ेगा. बैग कलस्टर से जुड़ी दीदियों ने बताया कि मुजफ्फरपुर के बने बैग की पहचान अब अन्य राज्यों में हो गयी है. यहां से बने बैग की मार्केटिंग में अब किसी तरह की परेशानी नहीं होगी. हमलोग अब अधिक संख्या में बैग निर्माण पर ध्यान दे रहे हैं. बैग निर्माण से जीविका दीदियों को रोजगार के अवसर बढ़े हैं. सैकड़ों दीदियां इस उद्योग से जुड़ कर अपना घर-परिवार चला रही हैं. दीदियों द्वारा बनाया गया बैग अब दूसरे राज्यों और महानगरों में पसंद की जा रही है. इसके मार्केटिंग का दायरा भी बढ़ा है. हमलोग इसका और विस्तार कर रहे हैं. बैग की मार्केटिंग के लिए नयी कंपनी भी बना ली गयी है. आने वाले समय में बैग कलस्टर से उत्पादन की संख्या भी बढ़ेगी. – अनीशा, डीपीएम, जीविकाडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है