मुजफ्फरपुर में लीची की फसल टूटने में अभी डेढ़ महीने देर है, लेकिन लीची की खरीदार बागों को देखने के लिये जिले में पहुंच रहे हैं. रविवार को लखनऊ के मोही ट्रेडिंग कंपनी के दीपक कुमार मिश्रा ने लीची के बागों को देखा और यूरोप सहित खाड़ी देशों के लिये अच्छी मात्रा में लीची की डिमांड की.
लीची अनुसंधान केंद्र में केंद्र के पूर्व वैज्ञानिक डॉ सुशील कुमार पूर्वे के साथ लीची के एक्सपोर्ट की व्यवस्था कैसे की जाये. इस पर चर्चा हुई. यह कंपनी जिले से पहली बार लीची खरीदेगी. लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष बच्चा प्रसाद सिंह ने लीची को बाहर ले जाने के लिये कूल वैन से लीची ले जाने की सलाह दी.
लीची लंबे समय तक सुरक्षित रहे, इसके लिये कूल वैन के जरिये लीची को एयरपोर्ट तक पहुंचाया जाये. उसके बाद उसे दूसरे देशों में भेजा जाये. कंपनी के प्रतिनिधि दीपक कुमार मिश्रा ने लीची के बागों को देख कर संतुष्टि जतायी. लीची टूटने से पहले वे यहां एक बार और आयेंगे. इनके अलावा लुलु मॉल के प्रतिनिधि भी इस महीने क अंत तक जिले में पहुंचेंगे.
बारिश से अच्छी हो गयी लीची की फसल
पिछले दिनों बारिश के कारण लीची की फसल अच्छी हो गयी है. किसानों को पेड़ों में बड़े फल लगने की उम्मीद है. लीची विशेषज्ञ डॉ सुशील कुमार पूर्वे ने बताया कि बारिश से लीची और आम की फसल अच्छी हो गयी है. एक दो दिन से पछिया हवा बह रही है. यह भी लीची के उत्पादन में फायदा करेगा. इस बार लीची की फसल अच्छी होगी. किसान एक महीने तक लीची पर ध्यान रखें.
12 हजार हेक्टेयर में होती है फसल
लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष बच्चा प्रसाद सिंह ने कहा कि जिले में 12 हजार हेक्टेयर में लीची की फसल होती है. करीब एक लाख टन का उत्पादन होता है. पिछले साल से लीची ग्लोबल हो गयी है. खाड़ी देशों के अलावा यूरोप सहित अन्य देशों में लीची भेजा जा रहा है. पिछले साल मांग के हिसाब से यहां के किसान आपूर्ति नहीं कर पाये थे. इस बार अभी से ही खरीदार आने लगे हैं. यहां से लीची का निर्यात इस बार काफी मात्रा में होगी. खरीदारों के यहां आने से किसानों में उत्साह है.
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