चंदन सिंह, मुजफ्फरपुर
सेंट्रल जेल शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा की लाइब्रेरी में अब बंदी किंडल (पोर्टेबुल वायरलेस इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस) पर मोटिवेशनल स्टोरी, महापुरुषों की आत्मकथा व सस्पेंस व थ्रिलर कहानियां पढ़ रहे हैं. किंडल डिवाइस का शिक्षित बंदियों के बीच काफी क्रेज है. इसमें 500 से अधिक ऐतिहासिक, मोटिवेशनल, महान हस्तियों की जीवनी, स्वामी विवेकानंद जी के दर्शन, धार्मिक, आध्यात्मिक, मनोरंजक, देशभक्ति कहानी और रोजगार से संबंधित पुस्तकें उपलब्ध है. वहीं, सेंट्रल जेल के लाइब्रेरी में पहले से 1500 पुस्तकें बंदियों के पढ़ने के लिए उपलब्ध थी.
अब सरकारी की ओर से 2500 नई पुस्तकें दी गयी है. सेंट्रल जेल में प्रतिदिन दो शिफ्ट में 300 से अधिक बंदी लाइब्रेरी पहुंच कर अपनी मनपसंद पुस्तक को पढ़ रहे हैं. साथ ही किंडल के दो डिवाइस पर ऑनलाइन अपनी मनपसंद पुस्तक पढ़ने के लिए प्रतिदिन 10 से 15 बंदी को मौका मिलता है. किंडल पर बुक पढ़ने की फरमाइश बंदियों को पहले ही लाइब्रेरियन को देना पड़ता है. सेंट्रल जेल में लाइब्रेरी का इतिहास काफी पुराना है. पहले बहुत कम बंदी लाइब्रेरी तक पहुंच पाते थे.
लेकिन, सरकार की पहल के बाद लाइब्रेरी को मॉडर्न बनाया गया है. इसमें अलग- अलग टेस्ट की पुस्तकें रखी गयी है. जेल प्रशासन की माने तो सेंट्रल जेल की लाइब्रेरी में जब बंदी पढ़ाई के लिए पहुंचते हैं तो पूरे अनुशासन और एक अच्छे छात्र की तरह उनका व्यवहार होता है. यह लाइब्रेरी सेंट्रल जेल में बंदियों के व्यवहार को बदलने, उनकी सोचने व समझने की जो नकारात्मक ऊर्जा का संचार होती रहती है उसको दूर करके सकारात्मक एनर्जी का संचार करती है. जानकारी हो कि सेंट्रल जेल के अंदर में पढ़ाई का काफी बढ़िया माहौल बना हुआ है. सेंट्रल जेल में 40 से अधिक बंदी प्रतियोगी परीक्षा की भी तैयारी कर रहे हैं. यहां से दो बंदी पढ़कर बाहर निकले और बीपीएससी परीक्षा देकर शिक्षक बन गए .
गांधी व स्वामी विवेकानंद की पुस्तकें बंदियों को सबसे अधिक पसंद
सेंट्रल जेल के लाइब्रेरियन ने बताया कि बंदियों को सबसे अधिक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की आत्मकथा और स्वामी विवेकानंद से जुड़ी पुस्तकें सबसे अधिक पसंद आ रही है. इसके साथ- साथ शहीद भगत सिंह की कहानी को भी बंदी बड़े चाव से पढ़ते हैं.
सुबह और शाम दो- दो घंटे के शिफ्ट में खुलता है लाइब्रेरी
लाइब्रेरी सुबह व शाम में दो- दो घंटे की शिफ्ट में खुलता है. बंदियों को जो भी पुस्तक पढ़ना होता है वह लाइब्रेरियन को बताते हैं, उनका नाम व वार्ड संख्या लिखने के बाद उनको बुक उपलब्ध करवा दिया जाता है. बंदी किताब पढ़ने के बाद वापस लौटा देते हैं.
चार हिंदी व दो अंग्रेजी अखबार के साथ- साथ कई मैगजीन भी उपलब्ध
प्रभात खबर समेत चार हिंदी दैनिक व दो अंग्रेजी अखबार भी सेंट्रल जेल की लाइब्रेरी में उपलब्ध है. इसके साथ- साथ कई तरह की पत्रिका भी बंदियों को पढ़ने के लिए दिया जाता है. इसको पढ़कर बंदी खुल को सम समायिक घटना से अपग्रेड रखता है.
निरक्षर बंदियों किया जा रहा साक्षर व सजायाफ्ता के लिए चलती है संध्या पाठशाला
सेंट्रल जेल में बंदियों को शिक्षित रखने के लिए कई तरह के स्कूल चल रहे हैं. निरक्षर बंदियों को पायलेट प्रोजेक्ट के तहत साक्षर किया जा रहा है. दसवीं, स्नातक, पीजी तक की पढ़ाई यहां करायी जा रही है. बंदियों को कंप्यूटर शिक्षा , वोकेशनल ट्रेनिंग और आर्ट ऑफ लिविंग की कला भी सिखायी जा रही है.
सेंट्रल जेल के लाइब्रेरी को अपग्रेड किया गया है. 2500 नई पुस्तकें आयी है. इसके साथ- साथ अब बंदी कंडिल जो इलेक्ट्रॉनिक बुक है इसपर भी बंदी अपनी मनपसंद किताबें पढ़ रहे हैं. ब्रिजेश सिंह मेहता, सेंट्रल जेल अधीक्षक