री-रजिट्रेशन को आ रहे 25 प्रतिशत गाड़ियों का चेचिस प्रिंट गायब

री-रजिट्रेशन को आ रहे 25 प्रतिशत गाड़ियों का चेचिस प्रिंट गायब

By Prabhat Khabar Print | July 5, 2024 12:35 AM

-गाड़ी अधिक पुरानी होने से मिट चुका है चेचिस व इंजन नंबर-अब इन गाड़ियों का नहीं हो सकेगा री-रजिस्ट्रेशन मुजफ्फरपुर.15 साल पुराने निजी वाहन री-रजिस्ट्रेशन के लिए आ रहे हैं. उसमें से करीब 25 प्रतिशत वाहनों में इंजन नंबर व चेचिस नंबर प्रिंट गायब है. ऐसे में इन गाड़ियों का दोबारा निबंधन नहीं सकता. एक सप्ताह में औसतन 40 से 50 गाड़ियां आ रही हैं, जिसमें दस गाड़ियों में चेचिस व इंजन नंबर नहीं होने की शिकायत मिलती है. ऐसे वाहनों के री-रजिस्ट्रेशन के कागज को वापस लौटा दिया जाता है. री-रजिस्ट्रेशन के लिए अब गाड़ी डीटीओ और एमवीआइ कार्यालय में मंगाकर उसका भौतिक सत्यापन कराया जाता है. भौतिक सत्यापन में गाड़ी के पेपर की जांच के साथ चेचिस प्रिंट विभागीय कर्मी द्वारा पदाधिकारियों के समक्ष आवेदन पत्र पर पेंसिल से उकेरा जाता है. इसके बाद गाड़ी के साथ दोनों पदाधिकारी की फोटो परिवहन विभाग के एप से खींची जाती है. इसके बाद आवेदन को पटना मुख्यालय को फॉरवर्ड किया जाता है. जहां से अनुमति मिलने के बाद आगे आवेदन पर कार्रवाई होती है. अबतक करीब साढ़े तीन सौ के आसपास री-रजिस्ट्रेशन के आवेदन आये हैं. दो दर्जन गाड़ियों के री-रजिस्ट्रेशन व ऑनलाइन इंट्री की अनुमति मुख्यालय ने दी है. इधर, एमवीआइ राकेश रंजन ने बताया ऑनलाइन गाड़ियों के री-रजिस्ट्रेशन में परेशानी नहीं है. लेकिन ऑफलाइन गाड़ियों के री-रजिस्ट्रेशन में गाड़ी का भौतिक सत्यापन किया जाता है. चेचिस व इंजन नंबर मिटा होने पर गाड़ी मालिक उसे कंपनी से दोबारा पंच कराकर लायें तो उस आवेदन पर आगे कार्रवाई होगी. —- मिटे नंबर को कंपनी से कराना हाेगा री-पंच जिन पुरानी गाड़ियों का चेचिस व इंजन नंबर मिट गया है. उसमें इसे री-पंच कराने के लिए वह जिस एजेंसी से गाड़ी खरीदे हैं, वहां जाकर कंपनी को आवेदन करते हैं. इसके बाद कंपनी द्वारा उक्त गाड़ी में इसका इंजन व चेचिस नंबर री-पंच किया जाता है, नहीं तो उस गाड़ी के संबंध में सत्यापित प्रति वाहन मालिक को उपलब्ध करायी जाती है. होता यह है कि गाड़ी के सही रख-रखाव नहीं होने के कारण गाड़ी का इंजन व चेचिस नंबर मिट जाता है. कुछ गाड़ियों के री-रजिस्ट्रेशन में पूर्व में कुछ गड़बड़ी के मामले कई जिलों में सामने आये. इसके बाद विभागीय मुख्यालय की ओर से इस पर रोक लगा दी गयी है. और री-रजिस्ट्रेशन के प्रक्रिया में सख्ती कर दी गयी और इसकी जांच के बाद ही इसमें आगे की कार्रवाई की जा रही है.

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