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Chhath Puja 2024: शुद्धता के प्रतीक बांस के उत्पादों के निर्माण में जुटे हैं कारीगर, बांस के बने सूप-दउरा की नहीं घटी डिमांड

Chhath Puja 2024: अभी भी बांस के बने सूप-दउरा की डिमांड नहीं घटी है. मुस्तफागंज बाजार पर रूना देवी, चुनचुन देवी, रानी देवी व पवन देवी छठ पर्व के लिए दउरा बीनने मे दिन रात जुटी हुई है.

By Radheshyam Kushwaha | October 24, 2024 5:59 AM

Chhath Puja 2024

संतोष कुमार गुप्ता
मीनापुर. बिहार ही नहीं देश के कई हिस्सों में लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा का बड़ा महत्व है. सूर्य उपासना के इस पर्व पर मल्लिक समाज के द्वारा बनाये गये बांस का सूप, दउरा व डगरा छठ पूजा पर खास महत्व रखता है. इसके बिना छठ पूजा की कल्पना नहीं की जा सकती है. हालांकि, वर्तमान में छठ पूजा पर आधुनिकता का रंग का चढ़ चुका है. छठ पूजा में लोग बांस की सूप और दउरा की जगह पीतल और दूसरी धातुओं के बने सामानों के साथ-साथ प्लास्टिक के प्रोडक्ट का प्रयोग कर रहे हैं. फिर भी मल्लिक समाज द्वारा निर्मित सूप-दउरा छठ में बेहद पसंद की जाती है़

बांस के बने सूप-दउरा की नहीं घटी डिमांड

मुस्तफागंज बाजार पर रूना देवी, चुनचुन देवी, रानी देवी व पवन देवी छठ पर्व के लिए दउरा बीनने मे दिन रात जुटी हुई है. मिश्री मल्लिक, लड्डू मल्लिक, लगन मल्लिक व संतोष मल्लिक भी दउरा के साथ-साथ डगरा व सूप बनाने मे पसीना बहा रहे हैं. यहां पर कई परिवारों के 32 से 33 सदस्य अपने पुश्तैनी काम में लगे हुए हैं. मदन मल्लिक बताते हैं कि महंगाई का दौर है. बांस पहले 50 से 60 रुपये प्रति पीस मिल जाता था. लेकिन, अब 150 से 175 रुपये पीस बड़ी मुश्किल से हो रहा है. बड़ी गाड़ियों में भरकर बांस को शहर भेजा जा रहा है. उनके उत्पादों की कीमत पहले जैसा ही है. 100 रुपये पीस डगरा, 50से 60 रुपये सूप व बड़ा दउरा 250 से 300 बिक रहा है.

बांस का क्रेज अब भी बरकरार

प्लास्टिक का डगरा व अन्य उत्पाद बाजार में आने से उनके सामानों की बिक्री में कमी आ गयी है. पीतल व अन्य धातुओं के उत्पाद भी लोग पसंद कर रहे हैं. जब पर्व नजदीक आता है तो दूसरे जिलों व राज्यों से व्यवसायी यहां दउरा, डगरा व सूप लेकर सस्ते दामो मे बेचने पहुंच जाते हैं. ऐसे मे उनके सामान का उचित दाम नहीं मिल पाता है. मीनापुर प्रखंड के हरका, चाकोछपड़ा, बनघारा, घोसौत, टेंगरारी, बहवलबाजार आदि स्थानों पर मल्लिक समाज के लोग डगरा, सूप व दउरा का निर्माण युद्धस्तर पर कर रहे हैं. किंतु उत्साह नहीं है.

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शुद्धता का प्रमाण है बांस के बने सूप व दउरा

लोक आस्था का महापर्व छठ शुद्धता और स्वच्छता के लिए भी जाना जाता है. भले ही आधुनिकता के इस दौर में प्लास्टिक और तांबा व पीतल के बने सूप भी बाजार में उपलब्ध हैं. लेकिन महापर्व में शुद्धता के लिए आज भी बांस के बने सूप और दउरा ही हैं और छठ व्रतियों की पहली पसंद भी. ग्रामीण इलाकों की महिलाये का कहना है कि बांस के उत्पाद के बिना डाला अधूरा है.

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