प्रभात खबर: आश्रम घाट पर छठ गीतों का बंधा समां, मुग्ध रह गए श्रोता

प्रभात खबर: आश्रम घाट पर छठ गीतों का बंधा समां, मुग्ध रह गए श्रोता

By Prabhat Khabar News Desk | November 6, 2024 12:52 AM

-नहाय-खाय पर प्रभात खबर की ओर से संगीत मय छठ गीतों की प्रस्तुति-शहर के नामचीन गायकों के छठ गीतों से भक्तिमय हुआ माहौल

मुजफ्फरपुर. नहाय-खाय व्रत के दिन छठी मइया के गीतों से आश्रम घाट पर आध्यात्मिक महौल रहा. लोक जीवन और संस्कृति से जुडृे यह गीत नहाय-खाय का व्रत कर रही व्रतियों में नयी ऊर्जा भरी. वहीं प्रकृति और जीवन से जुड़े यह व्रत की महिमा के गीत सुन कर श्रोता मुग्ध रह गए. मौका था प्रभात खबर की ओर से मंगलवार को आश्रम घाट पर छठ गीतों की प्रस्तुति का. शहर के नामचीन गायकों और वादकों ने लोक संस्कृति से जुड़े पर्व के गीत प्रस्तुत कर श्रोताओं का मन मोह लिया. अहले सुबह से आश्रम घाट परिसर में आयोजित कार्यक्रम में छठ गीत सुनने के लिए लोगों की भीड़ जुट गयी. कार्यक्रम की शुरुआत बाल कलाकार शाश्वत ने कांच ही बास के बहंगिया बहंगी लचकत जाए, बहंगी लचकत जाए, पेन्ही न पवन जी पियरिया दउरा घाटे पहुचाये … से की. पहले छठ गीत से ही आश्रम घाट पर लोगों का जमावड़ा लगना शुरू हुआ. छठ गीत सुनकर नहाय-खाय का व्रत कर अपने घर लौट रही व्रतियां भी छठ गीतों में खो गयीं और जरूरी काम होने के बावजूद कुछ देर तक गीत सुनने के लिए रुकी रहीं. गायिका कनिष्का सोनी ने केरवा के पात पर उगेला सूरज मल झाके झुके, ये करेनी छठ वरतिया की झांके झुके और पटना के घाट पर करब बरतिया गीत प्रस्तुत कर श्रोताओं को मुग्ध कर दिया. कार्यक्रम के अंत में सभी कलाकारों को प्रभात खबर की ओर से मोमेंटो भेंट कर सम्मानित किया गया.

प्रेम रंजन ने बिखेरी छठ गीतों की खुशबू

आकाशवाणी के बी उच्च श्रेणी गायक प्रेम रंजन सिंह ने छठ के कई गीतों की प्रस्तुति कर माहौल को आध्यात्मिक बना दिया. प्रेम रंजन ने महिमा छठ मैया के अपार ई जहान जानेला और कांच ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाय गीतों को सुनाकर श्रोताओं की खूब तालियां बटोरी. लोग इनके गीतों के साथ अपना स्वर भी दे रहे थे. हरिओम कुमार ने छोटी मूटी डोमिना बिटिया कि लामी लामी केश और पहला अरघ देबो सांझे दूसरा अरघ गीत से छठ की एक अलग महिमा का बखान किया. श्रोताओं ने भी भरपूर तालियों से इनको नवाजा. अनुराग अनमोल नेजोड़े-जोड़े फलवा सुरुज देव घटवा पे तिवाई चढ़ावेले हो, जोड़े-जोड़े फलवा सुरुज देव घटवा पे तिवाई चढ़ावेले हो, जल बीच खड़ा होइ दर्शन ला आसरा लगावेले हो और उगी हे सूरजमल नइयो ना डोले छठ गीतों की प्रस्तुति से लोगों का मन मोह लिया. इसके बाद शाश्वत शेखर ने ओरिए ओरिए मधु चेबे गीत की प्रस्तुति की.

गायकी से नवीन झा ने किया श्रोताओं को मुग्ध

सुरमयी अंदाज से पहचान बनाने वाले नवीन झा ने छठ गीतों की प्रस्तुति कर श्रोताओं की खूब तालियां बटोरी. आठ ही काठ के कोठरिया हो दीनानाथ उग सुरुज भइले बिहान गीत से छठ के प्राकृतिक और आध्यात्मिक महत्व को प्रस्तुत किया. इसके बाद मैथिली गीतों से भी छठ की महिमा का समां बांध दिया. वैष्णवी ने ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए, मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए और सोने सटकोनिया हो दीनानाथ, ग्राम के अधिकारी मोरे छोटका भइया हो प्रस्तुत कर श्रोताओं को बांधे रखा. इसके अलावा वैष्णवी ने सामा-चकेवा गीत से खूब तालियां बटोरी. कार्यक्रम में तबला पर विश्वजीत ने संगत किया.

बाल कलाकार ने गायकी से बांधा समां

आश्रम घाट के समीप रहने वाले बाल कलाकार मुस्कान ने ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए, मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए गीत की संगीतमय प्रस्तुति कर श्रोताओं का मन मोह लिया. छठ गीतों को सुनकर कार्यक्रम स्थल पर आयी मुस्कान ने गीत गाने की इच्छा जाहिर की. इसके बाद उसने अपनी सुरमयी आवाज में छठ गीतों की प्रस्तुति कर लोगों को सुनने पर विवश कर दिया.

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