वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर शहर की हालत देखकर ऐसा लगता है कि नगर निगम के अधिकारी शहर में नहीं रहते. हमारे जनप्रतिनिधि बस चुनाव के दिन ही घर से निकलते हैं. शहर की गलियां शायद उनके लिए नहीं बनीं. जिला प्रशासन के अधिकारी आंखों पर पट्टी बांधे हैं. कहने को तो शहर को स्मार्ट सिटी बना रहे हैं, लेकिन सुबह घर से निकल कर किसी भी मुहाने से प्रवेश करें तो नरक सिटी का आभास होता है. इस दुर्दशा से निजात की चिंता व उपाय कहीं से नहीं दिखते. स्मार्ट सिटी निर्माण कार्य में लगी एजेंसी की मनमानी कार्यशैली देख लगता है इसके लिए उसे प्रशासन की ओर से खुली छूट मिल गयी हो. एक दो दिन से बारिश ने और परेशान कर रखा है. लेकिन, पूरे शहर की ऐसी स्थिति है कि सुबह जिस रास्ते आप आसानी से गुजरे हों, दोपहर में वह सड़क बंद मिलेगी. कई बार तो बड़े-बड़े गड्ढे या रोड़ा-पत्थर के टीले राह में स्वागत करते मिलेंगे. कब, कहां, किस जगह सड़क खोदी हुई मिलेगी, कहा नहीं जा सकता. जनता भी इस परेशानी की आदत डाल चुकी है. कोई विरोध नहीं, कोई आंदोलन नहीं बस आपस में खींचतान और बगल से किसी तरह निकलने की जुगत में लगे रहते हैं. आखिर शहर की सुंदरता को लेकर यह प्रयास इतना तकलीफदेह कबतक रहेगा. इसका जवाब न तो प्रशासन के पास है, न ही निर्माण एजेंसी ही दे रही है.
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