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आओ पंछी नीड़ बनाओ, समझो पेड़ तुम्हारा है…..

आओ पंछी नीड़ बनाओ, समझो पेड़ तुम्हारा है.....

-नटवर साहित्य परिषद ने किया कवि-गोष्ठी का आयोजन

मुजफ्फरपुर.

छोटी सरैयागंज स्थित नवयुवक समिति के सभागार में रविवार को नटवर साहित्य परिषद की ओर से मासिक कवि सम्मेलन सह मुशायरा का आयोजन किया गया. अध्यक्षता डाॅ. विजय शंकर मिश्र और मंच संचालन महफूज आरिफ ने किया. धन्यवाद ज्ञापन नटवर साहित्य परिषद के संयोजक डॉ.नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी ने किया. कवि-गोष्ठी की शुरुआत आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री के गीत- दर्द दिया ही नहीं, दान फिर क्या दिया से किया गया. अध्यक्षता कर रहे डाॅ.विजय शंकर मिश्र ने आओ पंछी नीड़ बनाओ, समझो, पेड़ तुम्हारा है सुनाकर भरपूर तालियां बटोरी. डाॅ.नर्मदेश्वर मुजफ्फरपुरी ने धुआं धुआं सा उठा है, जरा ठहर जाओ, आशियां कोई जला है, जरा ठहर जाओ सुनाकर भरपूर दाद बटोरी. महफूज आरिफ ने ये जात पात की नफरत से दूर हम आरिफ, नये मिजाज का भारत चलो बनाये हम सुनाकर सराहना ली. अंजनी कुमार पाठक ने ठंडी हवाएं सर्द है मौसम, कब आओगे मेरे प्रियतम, सुमन कुमार मिश्र ने युद्ध के पहले कुरुक्षेत्र में, असमंजस में खड़ा रहा, सत्येंद्र कुमार सत्येन ने बुढ़िया बइठल बइठल छोड़े जहर के पुड़िया, सांझ दुपहरिया, डाॅ जगदीश शर्मा ने मुफ़लिस की गर्दिश में मजे खूब अब लीजिए, नाम राम की चादर ओढ़कर राम राम बोल कीजिए, ओमप्रकाश गुप्ता ने- सागर है सुरों का जिसमें वह कंठ कहां से लाऊं, नरेंद्र मिश्र ने स्नेहहीन दीपक हम मरु के तूफानों से जूझ रहे हैं, अरुण कुमार तुलसी ने शेष जीवन की व्यथा अब कौन हरे, प्रमोद नारायण मिश्र ने नियति के खेल के आगे किसी का वश नहीं चलता, अशोक भारती ने धूप पर जब भी लिखोगे, बात हकीकत की होगी और मुस्कान केशरी ने आखिर किसने कितना किसे सताया, ये बात बताए कैसे सुनाकर दर्शकों की तालियां ली. इसके अलावे सुनील कुमार सिंह, सुरेंद्र कुमार व रणवीर अभिमन्यु की रचनाएं भी सराही गयी.

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