देसी-विदेशी लेखकों का सार एक, कविता तोड़ती है कायरता

देसी-विदेशी लेखकों का सार एक, कविता तोड़ती है कायरता

By Prabhat Khabar News Desk | November 18, 2024 1:06 AM
an image

खास बातें-बिहार विधान परिषद् के उपसभापति ने रखे विचार-आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री न्यास का आयोजन-रजा फाउंडेशन ने भी किया आयोजन में प्रतिभाग

मुजफ्फरपुर.

आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री न्यास के तत्वावधान में रजा फाउंडेशन, दिल्ली के सहयोग से रविवार को निराला निकेतन में कविता संवाद की चौथी कड़ी का आयोजन किया गया.इस मौके पर मुख्य वक्ता व बिहार विधान परिषद् के उपसभापति प्रो रामवचन राय ने कविता क्या है, विषय पर अपने विचार रखे. कविता के संबंध में विभिन्न कवियों-लेखकों व देसी-विदेशी विद्वानों के मंतव्य का हवाला देते हुए कहा कि कविता मनुष्यता का न केवल पर्याय है, वरन् मनुष्य होने की तमीज भी सिखाती है. उन्होंने रघुवीर सहाय व मुक्तिबोध की कविताओं का संदर्भ देते हुए कहा कि कविता हमारे भीतर की कायरता को तोड़ती है. उन्होंने पश्चिम के ब्लूमबेरी समूह की चर्चा के संदर्भ में टीएस इलियट के भारत की कविताओं की श्रेष्ठता के बाबत उस बात को विशेष तौर पर रेखांकित किया कि भारत में कविता अपने शीर्ष पर पहुंचकर मंत्र बन जाती है. प्रथम सत्र की अध्यक्षता प्रो.रामप्रवेश सिंह व संचालन डॉ मनोज सिंह ने किया. कार्यक्रम के दूसरे सत्र में प्रो रामवचन, डॉ रवीन्द्र उपाध्याय, डॉ रमेश ऋतंभर, पंखुरी सिन्हा, डॉ शिवेन्द्र मौर्य, डॉ नीरज मिश्र, डॉ विजय शंकर मिश्र, शैल केजरीवाल, नरेंद्र मिश्र, हरिकिशोर सिंह व राम पुकार सिंह ने कविता पाठ कर किया. इसकी अध्यक्षता डॉ रवीन्द्र उपाध्याय व संचालन डॉ विजय शंकर मिश्र ने किया. धन्यवाद-ज्ञापन डॉ रामप्रताप ने किया. कविता-संंवाद में न्यास के कोषाध्यक्ष पवन बंका, डॉ आशा सिंह यादव, डॉ रामदुलार, सुमंत सिंह, गोपाल फलक, राजीव भारद्वाज व मधु कुमारी आदि मौजूद रहे.

कविता की दो भूमिकाएं, सबके अलग आयाम

प्रो रामवचन ने कहा कि कविता की दो भूमिकाएं हैं. एक तो यह कि रचनाकार जिस भाषा में कविता लिखते हैं, उसके अतीत को स्वीकार कर अपनी प्रतिभा से उसका विस्तार करें और दूसरा जिन लोगों के बीच कवि रहता है, उसके सुख-दुख, चिंता व संघर्ष से अवगत होकर उसें अभिव्यक्त करे. उन्होंने कहा कि कविता प्रतिरोध की संस्कृति रचती है. जहां अन्याय हो रहा हो, वहां प्रतिरोध कविता का धर्म है.

पिता को किया याद, बेटी का रचना पाठ

कविता संवाद की प्रथम सत्र का आरंभ आचार्य शास्त्री की बेटी व न्यास की अध्यक्ष शैलबाला वर्मा रहीं. अपने पिता के प्रसिद्ध गीत जिंदगी की कहानी रही अनकही का सस्वर पाठ कर उन्हें याद किया. अतिथियों का स्वागत व आयोजन के बारे में जानकारी न्यास के सचिव प्रो गोपेश्वर सिंह ने दी. धन्यवाद ज्ञापन आचार्य की नतिनी डॉ रश्मि मिश्रा ने किया.उन्होंने आचार्य की प्रथम पुस्तक काकली से संस्कृति में एक गीत सुनाया.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Exit mobile version