संवाददाता,मुजफ्फरपुर विशेष निगरानी न्यायालय ने 37 साल पुराने मामले में गुरुवार को फैसला सुनाया. त्रिवेणी नहर एवं घोड़ासाहन शाखा नहर के बांध आदि मरम्मत में हुए घोटाला मामले की सुनवाई कर रहे विशेष निगरानी न्यायाधीश सत्य प्रकाश शुक्ला ने दोषी पाते हुए पूर्वी चंपारण के अवर प्रमंडल रामनगर के तत्कालीन प्रभारी सहायक अभियंता सुरेंद्र नाथ वर्मा को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा-05(2) सह पठित धारा-5(1) (डी) पीसी एक्ट 1947 परिवर्तित धारा -13(2) सह पठित धारा-13(1) डी में 4 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 10 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनायी है. विशेष पीपी कृष्णदेव साह ने बताया कि अर्थ दंड की राशि नहीं देने पर छह माह का अतिरिक्त कारावास होगा. यह है मामला वर्ष 1986-87 में पूर्वी चंपारण के त्रिवेणी नहर एवं घोड़ासाहन शाखा नहर के बांधों आदि की मरम्मत आदि में हुई गड़बड़ी को लेकर निगरानी ब्यूरो पटना ने वर्ष 1987 के मई, जून में जांच की. जहां दोनों नहरों के मुख्य बांधों की जांच की. पाया कि लगभग एक हजार स्थल पर मरम्मत में गड़बड़ी कर डेढ़ करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है. जिसमें आरोपी प्रभारी सहायक अभियंता सुरेन्द्र नाथ वर्मा ने बांध की मरम्मत कार्य में लगे ठेकेदारों से रिश्वत लेकर उसे नाजायज लाभ पहुंचाकर करोड़ों रुपये के सरकारी राजस्व को हानि पहुंचाया है.
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