देश की सभी नदियों पर गहरा संकट, अब आंदोलन की जरूरत

देश की सभी नदियों पर गहरा संकट, अब आंदोलन की जरूरत

By Prabhat Khabar News Desk | November 29, 2024 1:38 AM
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-कई राज्यों के पर्यावरणविद् व गंगा मुक्ति पर काम करनेवालों ने रखे विचार

मुजफ्फरपुर.

गंगा बेसिन की समस्या व समाधान पर मिठनपुरा के चंद्रशेखर भवन में तीन दिवसीय राष्ट्रीय विमर्श की शुरुआत की गयी. उद्घाटन विभिन्न प्रदेशों से आए महिला प्रतिनिधियों ने दीप जला कर किया. विषय प्रवेश गंगा मुक्ति आंदोलन के संस्थापक अनिल प्रकाश ने कराया. इस मौके पर पूर्व सांसद अली अनवर ने कहा कि गंगा धार्मिक मामला नहीं है, जिसका राजनीतिक दोहन किया जा रहा है, बल्कि यह सांस्कृतिक मामला है. धार्मिक भावनाओं का शोषण करने के लिए राजनीतिक दल के लोग तरह-तरह की बातें करते हैं. नमामि गंगे योजना के नाम पर पिछले 10 साल से लूट मची है. यह योजना एक तरह से फेल है. पैसे भ्रष्टाचारियों व ठेकेदारों की जेब में जा रहे हैं. यह सब गंगा को मारने की योजना है. भागलपुर से आये प्राध्यापक व लेखक डॉ योगेंद्र ने कहा कि भारत की तमाम नदियों पर गहरा संकट है. दामोदर से लेकर बागमती व यमुना तक छोटी-बड़ी तमाम नदियां बर्बाद हो रही हैं.

छोटी नदियाें का समाप्त हो जाना, ठीेक बात नहीं

आधुनिक सभ्यता प्रकृति के खिलाफ जंग कर रही है. प्रकृति के खिलाफ एक नयी सभ्यता उगाने की चेष्टा पूरी दुनिया में की जा रही है. दिल्ली से आए पत्रकार प्रसून लतान ने बताया कि गंगा प्रदूषण पानी की कमी, छोटी नदियों का समाप्त होना, गंगा की अविरलता, गाद तटबंध व गंगा किनारे जहरीली खेती गंगा की प्रमुख समस्याएं हैं. मधुपुर से आए हुए पर्यावरणविद घनश्याम ने कहा कि अमेरिका के केनंसी वैली के तर्ज पर कोलकाता बंदरगाह को साफ करने के लिए दामोदर को बांधा गया. फिर फरक्का बराज बनाया गया. इसका विरोध उस वक्त के इं. कपिल भट्टाचार्य ने किया था.

लोक गीतों से गंगा की समस्यायें बतायीं

कार्यक्रम को पूर्व सीनियर आइएएस व्यासजी व अंतर्राष्ट्रीय नदी वैज्ञानिक व आइआइटी कानपुर के प्रो राजीव सिन्हा ने भी ऑनलाइन संबोधित कर गंगा बेसिन की गंभीर समस्या और उसके समाधान पर विस्तार से चर्चा की. गंगा मुक्ति आंदोलन के प्रणेता अनिल प्रकाश ने गंगा समेत अन्य नदियों के दोहन से बचाने के लिए बड़े आंदोलन की आवश्यकता पर जोर देते हुए तीन दिवसीय राष्ट्रीय विमर्श की रणनीति पर चर्चा की. कुमार विरल ने गंगा व नदी पर आधारित लोक गीत प्रस्तुत किये.

कई राज्यों से आये प्रतिभागी

अध्यक्षता प्रो विजय जायसवाल व मंच संचालन सुनील सरला व उदय ने किया. कार्यक्रम में राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, झारखण्ड, भागलपुर, कहलगांव एवं नेपाल के दर्जनों प्रतिनिधि शामिल हुए, जो पर्यावरण, नदी, जल-जंगल-जमीन को लेकर काम कर रहे हैं. इस मौके पर वीरेंद्र क्रांति वीर, हेमलता महस्के, अखिलेश कुमार, कृष्ण कुमार माढ़ी, आदित्य सुमन, गणेश, राजा राम सहनी, चंदेश्वर राम, बागमती संघर्ष मोर्चा से नवल किशोर सिंह, ठाकुर देवेंद्र, डॉ संतोष सारंग, जगरनाथ पासवान, राम एकबाल राय, अरविंद, कृष्णा प्रसाद, डॉ नवीन झा, श्याम नारायण यादव, राजीव, शाहिद कमाल, सहित अन्य मौजूद थे. धन्यवाद ज्ञापन नरेश सहनी ने किया.

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