जल संसाधन विभाग : भू-स्वामी को एलपीसी निर्गत करने में विलंब, रुका है गंडक फेज दो का काम

जल संसाधन विभाग : भू-स्वामी को एलपीसी निर्गत करने में विलंब, रुका है गंडक फेज दो का काम

By Prabhat Khabar News Desk | December 5, 2024 1:43 AM

-चीफ सेक्रेटरी ने जल संसाधन विभाग की समीक्षा मीटिंग कर काम में तेजी लाने का निर्देश-कमिश्नर व डीएम को एलपीसी निर्गत करने से लेकर भू-अर्जन प्रक्रिया को पूर्ण कराने की जिम्मेदारी

मुजफ्फरपुर.

पूर्वी गंडक नहर प्रणाली (गंडक फेज दो) योजना के तहत होने वाले नि:सृत फील्ड चैनल के निर्माण में जमीन का अधिग्रहण नहीं होना बड़ा बाधक बन गया है. तिरहुत मुख्य नहर के 255.79 किलोमीटर से चैनल का निर्माण होना है. इसमें 3.59 एकड़ जमीन का अधिग्रहण सकरा इलाके में होना है. अब तक भू-स्वामियों को एलपीसी निर्गत नहीं किया गया है. इससे भू-अर्जन की प्रक्रिया में विलंब हो रहा है. चीफ सेक्रेटरी के स्तर पर हुई मीटिंग के बाद जिला पदाधिकारी को इसमें तेजी लाने हेतु निर्देशित करने को कहा गया है. सकरा सीओ को लंबित भू-स्वामियों के एलपीसी को जल्द से जल्द निर्गत करते हुए भू-अर्जन की प्रक्रिया को पूर्ण करने को कहा गया है. इसके अलावा बागमती नदी के दायें बायें में बनने वाले 19.19 किमी लंबा तटबंध के कार्यों में भी तेजी लाने का आदेश दिया गया है.

कुल 130 रैयत की जमीन है.

मुजफ्फरपुर से सटे शिवहर में गाइड बांध का निर्माण में भी तेजी लाने को कहा गया है. बता दें कि रैयती जमीन के अधिग्रहण व भुगतान से संबंधित प्रक्रिया में विलम्ब के कारण निर्माण प्रक्रिया बाधित है. गाइड बांध के लिए कुल 37.6515 एकड़ भूमि में 13.8775 एकड़ सरकारी एवं 23.774 एकड़ रैयती भूमि सम्मिलित है. इसमें कुल 130 रैयत की जमीन है. अब तक 70 रैयतों का भुगतान हो चुका है. शेष रैयतों की भुगतान प्रक्रिया में विलंब होने के कारण गाइड बांध का भी निर्माण बाधित है.

बना था कॉफर डैम, 45 दिनों में ही बहा

विधायक ने कहा कि 24 करोड़ रुपये खर्च कर कॉफर डैम बनाया गया था, जो 45 दिनों के अंदर टूटने के कारण नदी अपने दाये तटबंध को रगड़ते हुए आज भी लगभग 19 किलोमीटर में बह रही है. इससे गांवों में निवास करने वाले एक बड़ी आबादी को हर साल नदी में पानी बढ़ने पर बाढ़ की समस्या से जूझना पड़ता है. बाद में विभाग से दूसरी बार उपधारा को बंद करने के लिए 04 करोड़ रुपये एवं तीसरी बार वर्ष 2021 में पायलट चैनल के तहत मेन नदी की उड़ाही हेतु 10 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गयी. कुल 38 करोड़ रुपये खर्च हुए, लेकिन इसका फायदा पब्लिक को शून्य मात्र का मिला है. राशि खर्च करने में बड़े पैमाने पर अनियमितता बरती गयी. उड़नदस्ता टीम ने जांच की. गड़बड़ी पकड़ी गयी, लेकिन बाद में मामले की लीपापोती कर विभाग सुस्त पड़ गया.

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