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प्रभात पड़ताल: मुजफ्फरपुर में बढ़ी पानी की मांग, आपूर्ति एक चौथाई से भी कम

दिनों-दिन बढ़ती जा रही है मुजफ्फरपुर शहर की आबादी, जलापूर्ति पंप की क्षमता में कटौती जगह-जगह सबमर्सिबल होने से भू-जल स्तर का हो रहा नाजायज दोहन, रिकॉर्ड तोड़ नीचे जा रहा जलस्तर

देवेश कुमार, मुजफ्फरपुर

Water Crisis In Muzaffarpur: पेयजल को लेकर मुजफ्फरपुर की शहरी आबादी संकट से जूझ रही है. तपिश वाली इस भीषण गर्मी में शहर के लगभग अधिकतर इलाके में पानी संकट है. सबसे ज्यादा परेशानी नगर निगम के सप्लाई वाले पानी पर आश्रित परिवारों को है. यह हाल तब है, जब नगर निगम पानी पर टैक्स लेने के साथ हर घर, नल जल के तहत पानी पहुंचाने का दावा कर रहा है.

सरकार से तय मानक के अनुसार, शहरी क्षेत्र में प्रति व्यक्ति को रोजाना 135 लीटर पानी की आवश्यकता है. लेकिन, नगर निगम बहुत कोशिशों के बाद प्रति व्यक्ति केवल 26 लीटर पानी ही उपलब्ध करा पा रहा है. जबकि, बीते 13 सालों में नगर पालिका क्षेत्र की आबादी में दो गुना से अधिक वृद्धि हुई है.

26 लीटर पानी की आपूर्ति निगम वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर कराने की बात कह रहा है. 13 सालों में आबादी बढ़ने के बाद शहर की जनसंख्या पांच-छह लाख के पार पहुंच चुका है. लेकिन, जलापूर्ति को लेकर निगम की व्यवस्था बढ़ने की बजाय और कमजोर हो गया है. बड़े जलापूर्ति पंपों की क्षमता में कटौती कर दी गयी है. इसके बदले जगह-जगह सबमर्सिबल लगा दिया गया है. इससे भू-जल स्तर का नाजायज दोहन हो रहा है. इसी का नतीजा है कि बीते दो से तीन सालों में गर्मी के दिनों में रिकॉर्ड तोड़ भू-जल स्तर नीचे पहुंच जा रहा है.

हैंडपंप और अपने निजी साधनों पर निर्भर हैं अधिकतर परिवार

लोग भले ही हर महीने लगने वाला यूजर चार्ज नगर निगम को होल्डिंग टैक्स में जोड़कर एक बार दे रहे हैं. लेकिन, शहर की एक बड़ी आबादी पानी की व्यवस्था खुद से किये हुए हैं. हैंडपंप, सामान्य बोरिंग या फिर सबमर्सिबल करा लोग अपने आवश्यकता के अनुसार पानी खर्च करते हैं. एक तरह से कहें तो लोग अपने निजी साधनों पर ही निर्भर हैं. अगर पूरे नगर पालिका क्षेत्र की आबादी को मानक के अनुसार प्रति व्यक्ति 135 लीटर पानी आपूर्ति की बात करें तो सरकारी जल आपूर्ति मांग के सापेक्ष केवल 15-20 फीसदी ही हो रही है.

हर दिन 12 घंटे पानी आपूर्ति कर रहा है निगम

नगर निगम ने दावा किया है कि शहरी क्षेत्र में जितने जलापूर्ति व सबमर्सिबल पंप है, उससे हर दिन न्यूनतम 10-12 घंटे पानी की आपूर्ति होती है. इससे डेढ़ सौ लाख गैलन पानी पहुंचता है. इसके लिए शहर में कुल 29 हेवी जलापूर्ति पंप स्थापित है. इसके अलावा 100 के आसपास सबमर्सिबल से रोजाना आपूर्ति होती है. बता दें कि एक गैलन पानी 3.78 लीटर के बराबर है.

जलापूर्ति की समीक्षा की गयी है. जहां-जहां कमियां दिखी है. नगर आयुक्त को कार्रवाई करने को कहा गया है. कितने जलापूर्ति पंप व सबमर्सिबल चालू अवस्था में है. इसकी पूरी रिपोर्ट तलब की गयी है. इसके बाद लंबे समय के लिए जलापूर्ति की कार्य योजना पर काम करायेंगे.

निर्मला साहू, महापौर

शहर में पानी की गंभीर संकट है. जगह-जगह से उन्हें इसकी शिकायत मिल रही है. स्मार्ट सिटी से पीने की पानी के लिए वाटर एटीएम लगाया गया. लेकिन, अब तक चालू नहीं किया गया है. इससे लोगों को सुविधा मिलने की बजाय परेशानी ही हो रही है.

डॉ मोनालिसा, उप महापौर

एक नजर में जलापूर्ति की व्यवस्था

  • 29 जलापूर्ति पंप, जिसमें 10 से 60 एचपी क्षमता का लगा है मोटर.
  • 11 जलमीनारों की संख्या है शहर में, चालू महज 07 ही
  • 03 शिफ्ट में प्रतिदिन होती है पानी आपूर्ति, 12 घंटे रोजाना सप्लाई का है औसत.
  • 135 लीटर प्रति व्यक्ति करना है सप्लाई, होती है 26 लीटर ही आपूर्ति.
  • 300 के आसपास शहर में लगे है सरकारी हैंडपंप

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