मुजफ्फरपुर. रामेश्वर महाविद्यालय में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती मनायी गयी. भाषा परिवार की ओर से आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डॉ ब्रह्मचारी व्यासनंदन शास्त्री ने कहा कि साहित्य व काव्य में रामधारी सिंह दिनकर का योगदान अद्वितीय रहा है. उनके द्वारा उर्वशी काव्य की रचना अनोखी है. उन्होंने रश्मि रथी में महाभारत के उन पात्रों को अपनी रचना से उभारा जो उस लायक थे.
प्राचार्य ने रश्मि रथी के अंश को सुनाया. कर्ण क्या थे और उनकी वीरता तथा उनके साथ क्या हुआ, इसकी जानकारी उन्होंने छात्र-छात्राओं को दी. प्राचार्य ने रश्मि रथी पढ़ने का सुझाव दिया. उन्होंने छात्रों से कहा-पढ़ना पहला तप है. विद्यार्थी जीवन में जो जितना तप करता उतना बेहतर होता है. एनएसएस कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ शारदा नंद सहनी ने कहा कि कवि के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए. दिनकर को जो बातें उन्हें सही नहीं लगती वे खुल कर समाज के बीच बोलते थे.
मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष उमेश शुक्ला ने कहा कि हर दिन 10 हजार शब्द कम से कम पढ़ें. इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ बादल कुमार ने कहा कि कवि और साहित्यकार सही को सही और गलत को गलत कहते हैं. कार्यक्रम में स्वागत हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. उपेंद्र प्रसाद व धन्यवाद ज्ञापन डॉ मीरा ने किया. इस दौरान डॉ सुमित्रा, डॉ अविनाश झा, डॉ महेश्वर प्रसाद सिंह, डॉ चिन्मय प्रकाश, डॉ राजबली राज, डॉ राकेश, डॉ स्मृति चौधरी, डॉ पीएन शर्मा उपस्थित थे.
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