लंबी अवधि वाले धान का 10 तक गिराएं बिचड़ा
लंबी अवधि वाले धान का 10 तक गिराएं बिचड़ा
मुजफ्फरपुर. किसान लंबी अवधि वाले धान का बिचड़ा 10 जून तक गिरा सकते हैं, जबकि मध्यम अवधि वाले बिचड़ा बोने के लिए 10 से 25 जून तक का समय उपयुक्त है. इस संबंध में डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय ने गाइडलाइन जारी की है. जिसमें लंबी अवधि वाले धान की किस्म की बुआई अगले सप्ताह से करने की सलाह दी गयी है. कम अवधि वाले धान की किस्म व सुगंधित धान की किस्म का बिचड़ा 20 जून से 10 जुलाई तक बोने के लिए कहा गया है. सुगंधित किस्मों का बिचड़ा बीजस्थली में पहले से गिराने से उसकी सुगंध समाप्त हो जाती है. इसके अलावा सब्जियों में भिंडी, नेनुआ, करैला, लौकी और खीरा की फसल में निराई-गुड़ाई करने के लिए कहा गया है. कीट से फसल को बचाने के लिए बराबर निगरानी करने व प्रकोप दिखने पर दवा के छिड़काव करने की बात कही गयी है. खरीफ फसल की खेती के लिए नर्सरी की तैयारी करने और स्वस्थ पौध के लिए नर्सरी में गोबर की खाद डालने के लिए कहा गया है. मक्का की बुआई करने वाले किसानों को सलाह दी गयी है कि अभी मौसम अनुकूल है. इसके लिए सुआन, देवकी, शक्तिमान-1, शक्तिमान-2, राजेंद्र संकर मक्का-4, गंगा-11 किस्मों की बुआई करने को कहा गया है. बुआई के समय प्रति हेक्टेयर 20 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो स्फुर व 50 किलो पोटाश का व्यवहार करने के लिए कहा गया है. हल्दी व अदरक की बुआई करने वाले किसानों को हल्दी की राजेंद्र सोनिया, राजेंद्र सोनाली किस्में व अदरक की मरान व नदिया किस्में लगाने की सलाह दी गयी है. हल्दी के लिए बीज दर 20 से 25 क्विंटल हेक्टेयर व अदरक के लिए 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रखने को कहा गया है. ओल की रोपाई शीघ्र करने का कहा गया है. रोपाई के लिए गजेंद्र किस्म अनुशंसित है.
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