Earthquake: भूकंप की वो डरावनी दास्तां जब एक साथ 10,000 लोग सो गए थे मौत की नींद, कांप जाएगी रूह
Earthquake: आज सुबह-सुबह बिहार के कई जिलों में भूकंप के झटके महसूस किये गए. कई लोग घर से बाहर भागे. हालांकि, कुछ लोगों को इस झटके का एहसास नहीं हुआ. इसकी केंद्र नेपाल का गोकर्णेश्वर बताया जा रहा है. आज आए भूकंप ने उस विनाशकारी भूकंप की याद दिला दी जब एक साथ 10 हजार लोगों की मौत हो गई थी.
Earthquake: बिहार के कई जिलों में आज सुबह-सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए. लोग अभी बिस्तर में ही थे कि बिहार के कई जिलों की धरती हिलने लगी. जानकारी के अनुसार, राजधानी पटना से लेकर मुजफ्फरपुर तक कई जिलों में धरती हिल गई. सुबह-सुबह अचानक भूकंप के झटकों से लोग अचानक नींद से जग गए. कई जगहों पर तो लोग डर के मारे अपने घरों के बाहर भी आए. फिलहाल किसी तरह के जानमाल के नुकसान की खबर नहीं है. भूकंप का केंद्र नेपाल का गोकर्णेश्वर बताया जा रहा है और इसकी तीव्रता 6.38 की बताई जा रही है. सुबह-सुबह आए भूकंप ने 91 साल पुरानी उस भयावह भूकंप की याद दिला दी, जिसमें एक साथ करीब 10 हजार लोग मारे गए थे.
कड़ाके की ठंड में धूप का मजा ले रहे थे लोग
दरअसल, 91 साल पहले 15 जनवरी 1934 की दोपहर को आए भूकंप की भयावह स्थिति को आज की नई पीढ़ी ने भले ही नहीं देखा हो, लेकिन उस विनाशकारी भूकंप की कहानी आज भी लोगों के दिलों दिमाग में जीवित है. इस भूकंप को याद करके लोग आज भी सिहर जाते हैं. इस भूकंप ने करीब 10,000 लोगों को एक साथ मौत की नींद सुला दिया था. 1934 में आए भूकंप ने मुंगेर और मुज्जफरपुर में सबसे ज्यादा तबाही मचाई थी. लोग उस दिन को याद करते हुए बताते हैं कि लोग मकर संक्रांति के अगले दिन कंपकंपा देने वाली ठंड में धूप का आनंद ले रहे थे, तभी अचानक से धरती कांपने लगी. इस भूकंप में अकेले मुंगेर जिले में करीब 438 लोगों की जान चली गई थी.
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पूर्वी नेपाल में स्थित था केंद्र
भूकंप की तीव्रता इतनी तेज थी कि कई जगहों पर जमीन भी फट गई. केंद्र माउंट एवरेस्ट के दक्षिण में लगभग 9.5 किमी पूर्वी नेपाल में स्थित था. मुजफ्फरपुर में भूकंप के कारण धूल मिट्टी से लोगों की सांस फूलने लगी थी. हर तरफ मलबा ही मलबा देखने को मिला था. इस भूकंप का असर आज भी मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, दरभंगा में देखा जा सकता है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आज भी पुरानी इमारतें तिरछी हैं.