विनय, मुजफ्फरपुर. उत्तर बिहार की अघोषित राजधानी मुजफ्फरपुर आजादी से पहले से काफी समृद्ध रहा है. यह जिला जमींदारों और राज घरानों का था. यहां के कुछ परिवार ऐसे थे, जिनके पास सुख-समृद्धि के तमाम साधन थे. मुजफ्फरपुर गजेटियर के अनुसार यहां के महादेव शाह ने 1920 में सबसे पहले कार खरीदी थी. उस वक्त यहां कार की एजेंसी नहीं थी. वे कोलकाता से खरीद कर लाये थे.
यहां पहला मोटर बस 1925 में गुलाब राय ने खरीदी. इतना ही नहीं यहां के भूदेव मुखर्जी ने 1930 में हवाई जहाज भी खरीदा था. उस दौरान हवाई जहाज खरीदना साधारण बात नहीं थी. यह उस समय की बात है जब मुजफ्फरपुर वैशाली, सीतामढ़ी और शिवहर को मिलाकर एक जिला था.
1931 की जनगणना के अनुसार जिले की आबादी 48 लाख एक हजार 72 थी. जिसमें शहरी क्षेत्रों की आबादी चार लाख 73 हजार 437 और ग्रामीण क्षेत्रों में 43 लाख 27 हजार 625 लोग रहते थे.
1948 में खुली थी मुजफ्फरपुर में कार की पहली एजेंसी
1948 में व्यावसायिक दृष्टिकोण से बिहार में चार शहर प्रमुख थे. उस दौरान झारखंड बिहार का अंग था और पटना, मुजफ्फरपुर, झरिया और जमशेदपुर व्यवसाय का प्रमुख केंद्र हुआ करते थे. इस कारण इन चार शहरों में हिंदुस्तान मोटर्स कार की एजेंसी अलग-अलग नामों से खुली.
मुजफ्फरपुर में इस्टर्न ट्रेडर्स एंड इंजीनियरिंग, पटना में पटना ट्रांसपोर्ट, झरिया में बिहार ऑटोमोबाइल्स और जमशेदपुर में प्राहीवल्लरी, राधेकृष्ण बियानी, भारूयेवा और मैंसन्स एजेंसी खुली थी. उस वक्त कार की कीमत 7500 थी. उस समय जिले के लोगों के पास तीन टैक्सी, 26 मोटरसाइकिल, 84 बस, 251 ट्रक और 332 कारें थी.
जिला गजेटियर के आंकड़ों के आधार पर मुजफ्फरपुर पुस्तक में लेखक आफाक आजम ने इसका उल्लेख किया है. हालांकि 1948 के बाद से जिले में मोटरसाइकिल और कारों की बिक्री में तेजी आने लगी. करीब 76 साल बाद अब जिले में हर वर्ष दस हजार से अधिक मोटरसाइकिल की बिक्री हो रही हो पांच हजार से अधिक कार भी शोरूम से निकल रहे हैं.
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