मुजफ्फरपुर: बिहार में कोरोनाकाल के दौरान आई बाढ़ ने लोगों का संकट और अधिक बढ़ा दिया है. प्रदेश के कई जिले इसकी चपेट में आ चुके हैं. मुजफ्फरपुर जिला में भी कई इलाके इसका दंश झेल रहे हैं. यहां बहने वाली बूढ़ी गंडक नदी पिछले कई दिनों से लोगों के लिए परेशानी का कारण बन चुकी है. दरअसल इसका बढ़ता जलस्तर इस साल 33 वर्ष पहले का रिकार्ड तोड़ने के बेहद करीब दिख रहा है.
मुजफ्फरपुर में गंडक, बूढ़ी गंडक, बागमती नदी में आई बाढ़ की वजह से जिले के 13 प्रखंडों के 203 पंचायत की करीब 12 लाख से अधिक की आबादी प्रभावित हुई है. कई ईलाकों में बाढ़ का पानी तेजी से फैल चुका है.लोगों को खाना-पानी तक जुटाने में परेशानी आने लगी है.एक तरफ जहां बागमती नदी लोगों के घरों तक पहुंच चुकी है वहीं दूसरी तरफ बूढ़ी गंड़क का बढ़ता जलस्तर पिछले 33 सालों के रिकार्ड जलस्तर को जल्द ही पीछे छोड़ता नजर आ सकता है. लोगों के बीच नदी का बढ़ता जलस्तर दशहत का कारण बन चुका है.
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बता दें कि मुजफ्फरपुर में बाढ़ का प्रकोप 1987 में काफी ज्यादा रहा था. बूढ़ी गंडक का जलस्तर अपने खतरनाक स्तर पर था. 1987 में आई बाढ़ में बूढ़ी गंडक नदी का जलस्तर 54 मीटर 29 सेंटीमीटर था. और इस साल 2020 में इसका जलस्तर उसके बेहद करीब पहुंचकर 53 मीटर 91 सेंटीमीटर के पैमाने को छू चुका है.जिसके कारण बूढ़ी गंडक नदी का पानी कई इलाकों को अपना शिकार बना रहा है. अब यह नए इलाकों में भी फैलता जा रहा है.
यहां बढ़ते जलस्तर के कारण एक बड़ी आबादी इसके चपेट में आ चुकी है. जबकि प्रशासन द्वारा लगातार राहत कार्य जारी है. लोगों के बीच राहत सामग्री पहुंचाने के साथ -साथ सूदूर इलाकों से बाढ़ की चपेट में फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों में पहुंचाने का कार्य प्रशासन के द्वारा किया जा रहा है.
बूढी गंड़क पर बने बांधों पर भी इसका प्रभाव पड़ने लगा है. कई जगह बांध क्षतिग्रस्त हो चुके है. वहीं कई जगह बांधों पर पानी के बढ़ते दबाव के कारण खतरा मंडराया हुआ है. मोतीपुर के बांध पर बढते खतरे को देख इसके मरम्मत कार्य को भी सरकार के द्वारा युद्ध्स्तर पर शुरू कर दिया गया है.
Posted By : Thakur Shaktilochan Shandilya