आचार्य मुरलीधर ने दिया प्रवचन, मुजफ्फरपुर क्लब में हो रही रामकथा उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर कथावाचक मुरलीधर व्यास ने कहा कि छठी भक्ति अच्छा चरित्र; बहु कार्यों से वैराग्य व नित्य सज्जनों सा आचरण करना है. इंद्रियों का निग्रह व सज्जन की तरह धर्म का आचरण जरूरी है. छठी भक्ति के रूप में भगवान रामचंद्र ने मां शबरी को इंद्रियों के निग्रह के संदर्भ में बताया था. जिसमें पंच ज्ञानेंद्रियां व कर्म इंद्रियां और मन सभी की आसक्ति का बलपूर्वक त्याग करना, दमन करके शीलवान, सदाचारी, संयमी की तरह सज्जन, उचित धर्म का अनुसरण व पालन करना, यही छठी भक्ति है. राणी सती मंदिर की ओर से मुजफ्फरपुर क्लब में रामकथा हो रही है. सातवें दिन गुरुवार को कथाव्यास ने धर्म की व्याख्या की. कहा कि इंद्रियों की स्वाभाविक गति विषयों, चंचलता वासना व तृष्णा की ओर ले जाती है और जब साधक व साधारण व्यक्ति इंद्रिय निग्रह नहीं कर पाता, तब उसमें विषयों की ओर आसक्ति बढ़ जाती है. वह विषयों से आसक्त हो जाता है और जिससे उसमें विभिन्न प्रकार की मानसिक विकृतियां उत्पन्न होती हैं, इसलिए इंद्रियों का निग्रह प्रत्याहार, जप साधना, ध्यान साधना से करना बेहद जरूरी है. सात्विक आहार लेने से वाणी, विचार नियंत्रित हो जाते हैं. जब व्यक्ति धर्म का अनुसरण करता है और वह संसार के सभी भव बंधनों से मुक्त होकर सभी प्राणियों में परमात्मा के स्वरूप को देखने लगता है तब अंत में वह परमात्म चेतना को समर्पित हो कर ब्रह्मलीन हो जाता है. कथा के प्रारंभ में यजमान पुरुषोत्तम देवड़ा, कथा संयोजक गरीब नाथ बंका. प्रभात बंका, रमेश चौधरी, अरुण चमड़िया, श्रवण मोदी, गोविंद तुलस्यान, पप्पू तुलस्यान, अनिल शाह, अनु पोद्दार, केशव जालान, रेवती रमन गोयनका ने व्यास पीठ का पूजन किया. मौके पर कमेटी ट्रस्ट बोर्ड के अध्यक्ष श्याम सुंदर भीमसेरिया, कार्यसमिति अध्यक्ष रमेश झुनझुनवाला, श्रवण सर्राफ, पुरुषोतम लाल पोद्दार, मोती लाल छापड़िया, मनीष अग्रवाल, राजा अग्रवाल, नितिन ढंढारिया, गोपाल तुलस्यान, संजय तुलस्यान, गोविंद भिमानीवाला, सुनील केडिया, मिंटू देवड़ा, समीर तुलस्यान, राजा चौधरी, राम भरोसे चांदकोठिया सहित अन्य मौजूद रहे.
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