BRABU VC Interview : भीम राव अंबेडकर बिहार यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. दिनेश चंद्र राय शुक्रवार को प्रभात खबर के कार्यालय पहुंचे. उन्होंने विश्वविद्यालय की आगामी कार्य योजनाओं के संदर्भ में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि मुजफ्फरपुर व बिहार ने अपनी संस्कृति और धरोहर को संजोकर रखा है. यहां की लीची व जर्दालु आम की प्रोसेसिंग अपने ही यहां हो, इसको लेकर विवि के रसायनशास्त्र विभाग में फूड टेक्नोलॉजी में चार वर्षीय कोर्स की शुरुआत होगी. विवि के साथ ही मुजफ्फरपुर व आसपास के क्षेत्र में फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं. ऐसे में यहां के इंटरप्रन्योर को प्रशिक्षण दिया जाएगा. इससे स्थानीय फूड्स को नई पहचान मिलेगी. इसका लाभ भी लोगों को मिलेगा. उन्होंने कहा कि अपने जन्म स्थान की सेवा करना भाग्य की बात है. मुझे यह मौका मिला है तो मैं विश्वविद्यालय को आगे बढ़ाने में हर संभव प्रयास करूंगा. प्रस्तुत है प्रो.दिनेश चंद्र राय के साथ बातचीत के प्रमुख अंश.
- प्र. नैक मूल्यांकन में बिहार के संस्थान बेहतर नहीं कर पाते हैं, इसका क्या कारण है. बीआरएबीयू में इसकी क्या तैयारी है?
- उ. बिहार में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में यहां की सरकार ने काफी अच्छा कार्य किया है. नियमित शिक्षकों की नियुक्ति होने तक अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति और उन्हें सम्मानजनक वेतन सरकार दे रही है. यह अच्छी पहल है. इसके बाद भी शिक्षकों की कमी से बिहार के विवि जूझ रहे हैं. यहां नामांकन काफी हो रहा है. बीआरएबीयू में ही स्नातक के एक सत्र में करीब डेढ़ लाख बच्चों का नामांकन है. चार वर्षीय कोर्स में पांच लाख से अधिक विद्यार्थी हैं पर उस अनुपात में शिक्षक नहीं हैं. इन्हीं कारणों से नैक में यहां के शिक्षण संस्थान बेहतर नहीं कर पाते. नैक को भी अपने ग्रेडिंग सिस्टम में सुधार करने की जरूरत है. 2015 में नैक से ग्रेड-बी मिलने के बाद से द्वितीय चरण के लिए प्रक्रिया शुरू नहीं की गयी. योगदान देने के साथ ही मैंने नैक मूल्यांकन की दिशा में प्रक्रिया शुरू कर दी. आइआइक्यूआर सब्मिट हो चुका है. एसएसआर सब्मिट करने की तैयारी जोरों पर है. राज्यपाल व सरकार की अपेक्षा है कि नैक में विश्वविद्यालय बेहतर करे. ऐसे में उम्मीद है कि विश्वविद्यालय बेहतर ग्रेडिंग प्राप्त करेगा.
- उ. बिहार में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में यहां की सरकार ने काफी अच्छा कार्य किया है. नियमित शिक्षकों की नियुक्ति होने तक अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति और उन्हें सम्मानजनक वेतन सरकार दे रही है. यह अच्छी पहल है. इसके बाद भी शिक्षकों की कमी से बिहार के विवि जूझ रहे हैं. यहां नामांकन काफी हो रहा है. बीआरएबीयू में ही स्नातक के एक सत्र में करीब डेढ़ लाख बच्चों का नामांकन है. चार वर्षीय कोर्स में पांच लाख से अधिक विद्यार्थी हैं पर उस अनुपात में शिक्षक नहीं हैं. इन्हीं कारणों से नैक में यहां के शिक्षण संस्थान बेहतर नहीं कर पाते. नैक को भी अपने ग्रेडिंग सिस्टम में सुधार करने की जरूरत है. 2015 में नैक से ग्रेड-बी मिलने के बाद से द्वितीय चरण के लिए प्रक्रिया शुरू नहीं की गयी. योगदान देने के साथ ही मैंने नैक मूल्यांकन की दिशा में प्रक्रिया शुरू कर दी. आइआइक्यूआर सब्मिट हो चुका है. एसएसआर सब्मिट करने की तैयारी जोरों पर है. राज्यपाल व सरकार की अपेक्षा है कि नैक में विश्वविद्यालय बेहतर करे. ऐसे में उम्मीद है कि विश्वविद्यालय बेहतर ग्रेडिंग प्राप्त करेगा.
- प्र. अकादमिक सत्र को और बेहतर करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं ?
- उ. मैं भाग्यशाली हूं कि जब मुझे विवि की कमान मिली तो यहां का सत्र नियमित था. आगे इसे और बेहतर करने को लेकर कार्ययोजना बनायी जा रही है. एकेडमिक व परीक्षा कैलेंडर बनाया जा रहा है. कक्षाएं नियमित चलें व परीक्षा समय से हो, इस दिशा में काम हो रहा है.
- प्र. छात्रावास व शिक्षक-कर्मचारियों के आवास जर्जर स्थिति में हैं, उनको लेकर क्या योजना है ?
उ. छात्रावासों व शिक्षक-कर्मचारियों के आवास के बारे में योगदान के साथ ही जानकारी मिली है. इसके मेंटेनेंस की जरूरत है. इस दिशा में युद्ध स्तर पर कार्य हो रहा है. हम नैक की तैयारी कर रहे हैं. ऐसे में हमारी यह बाध्यता भी है कि हम समय से सब ठीक कर लें. कई एकेडमिक ब्लॉक की स्थिति अच्छी नहीं है. उनकी मरम्मत भी मुश्किल है. ऐसे में उनकी जगह नये एकेडमिक बनाकर पुराने भवन को हटाया जाएगा. - प्र. मूल प्रमाणपत्र व पेंडिंग जैसी समस्याओं के लिए छात्रों को भटकना पड़ता है, इसको सुलभ कैसे किया जाए ?
- उ. मूल प्रमाणपत्र व पेंडिंग यहां की सबसे बड़ी समस्या है. छात्र दौड़ते रहते हैं और उनकी समस्या का समाधान नहीं होता था. इसको प्राथमिकता देते हुए मैंने छात्र संवाद की शुरुआत की. प्रत्येक सोमवार को दोपहर एक बजे से छात्र अपनी शिकायत व समस्या लेकर आते हैं. संबंधित विभाग के पदाधिकारी ऑन द स्पाॅट समस्या का समाधान करते हैं या इसके समाधान की समयसीमा बता देते हैं. समस्या के समाधान के साथ संबंधित छात्र को मैसेज के माध्यम से जानकारी भी दे दी जाती है. डिजीलॉकर पर डिग्री डाली जा रही है. बीआरएबीयू यह पहल करने वाला पहला संस्थान है.
- उ. मूल प्रमाणपत्र व पेंडिंग यहां की सबसे बड़ी समस्या है. छात्र दौड़ते रहते हैं और उनकी समस्या का समाधान नहीं होता था. इसको प्राथमिकता देते हुए मैंने छात्र संवाद की शुरुआत की. प्रत्येक सोमवार को दोपहर एक बजे से छात्र अपनी शिकायत व समस्या लेकर आते हैं. संबंधित विभाग के पदाधिकारी ऑन द स्पाॅट समस्या का समाधान करते हैं या इसके समाधान की समयसीमा बता देते हैं. समस्या के समाधान के साथ संबंधित छात्र को मैसेज के माध्यम से जानकारी भी दे दी जाती है. डिजीलॉकर पर डिग्री डाली जा रही है. बीआरएबीयू यह पहल करने वाला पहला संस्थान है.
- प्र. छात्र संघ चुनाव व दीक्षांत समारोह को लेकर क्या योजनाएं हैं ?
- उ. छात्रसंघ चुनाव तो रूटीन क्रियाकलाप का हिस्सा है. नए सत्र में नामांकन की प्रक्रिया चल रही है. इसके बाद छात्रसंघ चुनाव को लेकर तैयारी शुरू की जाएगी. विश्वविद्यालय में पांच सौ से अधिक क्षमता का एक ऑडिटोरियम है. उसकी स्थिति खराब हो चुकी है. उसे विश्वस्तरीय बनाया जा रहा है. इसका डिजाइन तैयार हो गया है. शीघ्र ही कार्य शुरू होगा. इसके बाद इसमें अगस्त-सितंबर में दीक्षांत समारोह का आयोजन प्रस्तावित है.
- उ. छात्रसंघ चुनाव तो रूटीन क्रियाकलाप का हिस्सा है. नए सत्र में नामांकन की प्रक्रिया चल रही है. इसके बाद छात्रसंघ चुनाव को लेकर तैयारी शुरू की जाएगी. विश्वविद्यालय में पांच सौ से अधिक क्षमता का एक ऑडिटोरियम है. उसकी स्थिति खराब हो चुकी है. उसे विश्वस्तरीय बनाया जा रहा है. इसका डिजाइन तैयार हो गया है. शीघ्र ही कार्य शुरू होगा. इसके बाद इसमें अगस्त-सितंबर में दीक्षांत समारोह का आयोजन प्रस्तावित है.
- प्र. आज की युवा पीढ़ी अपने को कैसे व्यवस्थित रखे ताकि वे बेहतर नागरिक बन सकें ?
- उ. विवि और कॉलेजों में नियमित कक्षाएं हों, यह प्रयास है. हम बच्चों में अपनी संस्कृति जरूर भर पाएं, यह कोशिश होनी चाहिए. देशप्रेम व भारतीय संस्कृति के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा व देश के लिए जिम्मेवार नागरिक बनाये जाने चाहिए. विवि की स्थापना के 75 वर्ष हो चुके हैं. राष्ट्रकवि दिनकर, प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद व आचार्य कृपलानी यहां शिक्षक रहे हैं. छात्रों को यह संदेश देंगे कि पूरा विश्व हमारी ओर देख रहा है. ऐसे में हम जिम्मेवार और सजग नागरिक बनें. अपने माता-पिता और गुरुओं का सम्मान करें. अपनी मातृ संस्था जहां से आपने शिक्षा ग्रहण की है वहां से आजीवन जुड़े रहें. यदि सामर्थ्य हो तो संस्था को रिटर्न गिफ्ट करें. इससे संस्थान फलेगी-फूलेगी.