जेल में बंद सजायाफ्ता कैदी के साथ मारपीट के 28 साल पुराने मामले की सुनवाई कर रहे न्यायिक दंडाधिकारी पूर्वी नंदनी ने पूर्व सांसद आनंद मोहन को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया. फैसला के समय कोर्ट में पूर्व सांसद उपस्थित थे. पूर्व सांसद के अधिवक्ता मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि उनको कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में बरी किया है.
आनंद मोहन के खिलाफ 1997 में दर्ज की गई थी चार्जशीट
बता दें कि केस में पूर्व सांसद आनंद मोहन के अलावा पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला, रामू ठाकुर, बबलू श्रीवास्तव और एक अज्ञात कैदी को आरोपित बनाया गया था. इसमें रामू ठाकुर और बबलू श्रीवास्तव की मौत हो चुकी है. जबकि पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला को कोर्ट बरी कर चुका है. इस केस में 1997 में 11 अप्रैल को पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की थी.
यह है मामला
10 अप्रैल, 1996 को खुदीराम बोस केंद्रीय कारा में बंद सजायाफ्ता कैदी व समस्तीपुर जिले के ताजपुर थाना के मरचा निवासी अशोक कुमार मिश्रा ने एफआइआर करायी थी, जिसमें पूर्व सांसद आनंद मोहन, रामू ठाकुर, पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला, बबलू श्रीवास्तव और एक अज्ञात कैदी को आरोपित किया था .
पुलिस को दी जानकारी में बताया था कि मैं शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा में आजीवन कारावास का सजायाफ्ता कैदी हूं. तीन अक्टूबर, 1989 से जेल में बंद हूं. सभी आरोपित जेल में रंगदारी करते हैं, जिसका मैं विरोध करता हूं. इस कारण उनके साथ मारपीट की गयी है. पूर्व सांसद आनंद मोहन, रामू ठाकुर, पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला, बबलू श्रीवास्तव और एक अज्ञात कैदी को आरोपित बनाया गया था.
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