केमिकल से पका फल नुकसानदेह, सेहत खराब होने का खतरा

केमिकल से पका फल नुकसानदेह, सेहत खराब होने का खतरा

By Prabhat Khabar News Desk | April 9, 2024 9:06 PM

एफएसएसआ ने उपभोक्ताओं को किया आगाह उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर फल स्वास्थ्य के लिये बहुत लाभदायक हैं, लेकिन वही फल जब केमिकल से पकाया गया हो तो व्यक्ति की सेहत खराब हो सकती है. कई तरह की बीमारियों का खतरा भी बना रह सकता है. इन दिनों गर्मी का सीजन शुरू होते ही बाजार में कई तरह के फल आ गये हैं, जो दिखने में तो अच्छे और पके होते हैं, लेकिन प्राकृतिक रूप से पका है या उसे केमिकल में पकाया गया है, यह पता नहीं चलता. खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के नियमानुसार फलों को पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड के उपयोग पर प्रतिबंध है. यहां तक कि इसकी बिक्री, खरीद और भंडारण पर भी सजा का प्रावधान है. इसके बावजूद भी फलों को पकाने में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है. इसको लेकर एफएसएसआई ने उपभोक्ताओं को आगाह किया है. आजकल लाल गुदा वाले तरबूज बाजार में बहुतायत है, लेकिन इनमें से कुछ केमिकल युक्त भी हो सकते हैं. एफएसएसआइ के अनुसार तरबूज के अंदर इंजेक्शन से एरिथ्रोसिन केमिकल डाला जाता है. यह एक तरह की लाल डाई है, जो सेहत के लिये हानिकारक है. उपभोक्ताओं को इससे बचने की सलाह दी गयी है. कार्बाइड और एथिलीन में पका केला और पपीता हानिकारक केला भी समय से पहले पकाने के लिये कार्बाइड और एथिलीन गैस का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं पपीता के लिये कार्बाइड का इस्तेमाल किया जाता है़ केमिकल में पका केला और पपीता खाने से पाचन तंत्र को अधिक मेहनत करनी पड़ती है. जिससे अपज और अल्सर का खतरा रहता है. इसके अलावा ये फल शरीर के लाभकारी बैक्टीरिया को भी नष्ट कर देते हैं. इससे शरीर का प्रतिरोधी तंत्र भी कमजोर हो जाता है. किडनी, लीवर की बीमारियों का रहता है खतरा कैल्शियम कार्बाइड के पानी के संपर्क में आने पर जहरीली गैस निकलती है. फिजिशियन डॉ राजेश कुमार बताते हैं कि केमिकल में फल पकाने से यह प्रभावित हो जाता है. इसके खाने से किडनी, लिवर और स्नायु तंत्र की बीमारियां होने का अधिक खतरा रहता है. चक्कर आना, सिरदर्द, दिमागी सूजन, मिर्गी होने की भी आशंका रहती है वर्जन केमिकल में फलों को पकाने पर प्रतिबंध है. शहर में फलों का सैंपल लेकर जांच की जायेगी. जांच में केमिकल पाये जाने पर फलों की आपूर्ति करने वालों पर कार्रवाई होगी. – सुदामा चौधरी, खाद्य सुरक्षा अधिकारी

Next Article

Exit mobile version