=हाइकोर्ट के आदेश पर विशेष पॉक्सो कोर्ट दो में स्पीडी ट्रायल के तहत सुनवाई
मुजफ्फरपुर.
पारू में पांच साल पहले नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता के मां बनने के मामले में पटना एफएसएल के निदेशक से पांच हजार रुपये शुल्क वसूली होगी. यह आदेश गुरुवार को विशेष पॉक्सो कोर्ट-2 के जज प्रशांत कुमार झा ने दिया. इसके साथ ही निदेशक से तीन बिंदुओं पर जवाब मांगा गया है. शोकॉज का नोटिस जारी करते हुए पूछा गया है कि निदेशक बताएं कि कोर्ट के आदेश की अवहेलना के लिए उनके खिलाफ कानूनी प्रोसीडिंग क्यों नहीं चलायी जाये. कोर्ट अब इस मामले में 16 दिसंबर को सुनवाई करेगी. विशेष लोक अभियोजक अजय कुमार ने बताया कि पारू के एक गांव की 15 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता की मां के बयान पर पॉक्सो एक्ट के तहत पारू थाना में एफआइआर दर्ज की गयी थी. पुलिस को बताया था कि पीड़िता स्कूल से पढ़कर आयी और जलावन लेने के लिए बथान में गयी. इसी दौरान पड़ोस के युवक ने चाकू दिखाकर छात्रा का हाथ-पांव बांधकर दुष्कर्म किया. साथ ही उसने धमकी दी कि अगर यह बात किसी को भी बताया तो वह उसकी हत्या कर देगा. डर से छात्रा ने यह बात किसी को नहीं बतायी और घटना के बाद आरोपित पंजाब भाग गया.छात्रा से शादी करने का प्रस्ताव रखा
करीब एक माह के बाद छात्रा के पेट में दर्द की शिकायत होने लगी. परिजनों ने एक माह तक छात्रा का इलाज कराया, लेकिन दर्द ठीक नहीं हुआ तो चिकित्सक ने अल्ट्रासाउंड कराया. इसमें छात्रा के 70 दिनों की गर्भवती होने की पुष्टि हुई. पूछताछ में छात्रा ने युवक के करतूतों की जानकारी दी. इसके बाद गांव में पंचायती हुई. पंचों ने आरोपित के परिवार को छात्रा से शादी करने का प्रस्ताव रखा, लेकिन आरोपित के पिता ने छात्रा को बहू के रूप में स्वीकार करने से इंकार कर दिया. तब छात्रा की मां ने प्राथमिकी दर्ज करायी. इस बीच छात्रा ने एक बच्ची को जन्म दिया. पुलिस पर दबाव पड़ा और आरोपित को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया. 18 अप्रैल 2022 से आरोपित इस कांड में जेल में बंद है. हाइकोर्ट ने इस मामले में पॉक्सो कोर्ट को स्पीडी ट्रायल चलाकर मामले के निष्पादन का आदेश दिया है. सभी गवाहों का बयान दर्ज हो चुका है.
डेढ़ साल से अटकी है डीएनए रिपोर्ट
विशेष लोक अभियोजक ने बताया कि डीएनए रिपोर्ट से यह स्पष्ट होगा कि बच्ची आरोपित की ही संतान है. डीएनए जांच के लिए आरोपित के वकील ने कोर्ट से मांग की थी. जिसके बाद कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने 11 जुलाई 2023 को बच्ची और आरोपित के खून का नमूना लेकर जांच के लिए एफएसएल पटना भेजा था. इसके बाद कोर्ट ने पटना एफएसएल के निदेशक को नौ फरवरी, 12 अगस्त व 30 सितंबर 2024 को रिमाइंडर पत्र भेजा. जिसका कोई जवाब निदेशक ने नहीं दिया. कई बार विशेष लोक अभियोजक ने भी निजी स्तर पर निदेशक को कॉल किया, लेकिन उन्होंने कोई उत्तर नहीं दिया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है