सेमेस्टर बीतने के बाद कॉलेजों को मान्यता दे रही सरकार

सेमेस्टर बीतने के बाद कॉलेजों को मान्यता दे रही सरकार

By Prabhat Khabar News Desk | November 9, 2024 8:30 PM
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कॉलेजों को मान्यता देने में अलग-अलग सत्र के जिक्र से उलझन में विश्वविद्यालय

मुजफ्फरपुर.

बीआरएबीयू में स्नातक सत्र 2024-28 में नामांकन की प्रक्रिया समाप्त हुए करीब चार महीने बीत गये हैं. सीबीसीएस सिस्टम में छह महीने में पहले सेमेस्टर की परीक्षा हो जानी है. वहीं दूसरी ओर सरकार के स्तर से अब कॉलेजों को वर्तमान सत्र के लिए मान्यता और संबंधन विस्तार दिया जा रहा है. सरकार के उच्च शिक्षा विभाग की ओर से कुलसचिव को पत्र भेजते हुए एक और कॉलेज को सत्र 2024-28 और 2025-29 के लिए पास और प्रतिष्ठा स्तर पर अस्थायी संबंधन के दीर्घीकरण की सहमति दी गयी है. करीब दो दर्जन विषयों की पढ़ाइ यहां हो दुविधा है कि यहां नामांकन की प्रक्रिया पूरी होने के साथ ही सिलेबस भी लगभग पूरा होने की स्थिति में है. ऐसे में इन कॉलेजों में इस सत्र में नामांकन कैसे होगा. वहीं सरकार के स्तर से सत्र को लेकर भी स्थिति स्पष्ट नहीं है. विभिन्न कॉलेजों को मान्यता देने में अलग-अलग सत्र का उल्लेख किया जा रहा है. इस कारण भी विश्वविद्यालय के लिए उलझन की स्थिति है. एक कॉलेज को सत्र 2024-27 के लिए अस्थायी संबंधन दिया गया है. वहीं एक कॉलेज को सत्र 2024-28 से स्थायी संबंधन दिया गया है.

सत्यापन हुआ तो मानक पर खरे नहीं उतरे कई कॉलेज

बीआरएबीयू के तहत दो दर्जन से अधिक कॉलेजों ने मान्यता के लिए सरकार के पोर्टल पर आवेदन किया था. विश्वविद्यालय को सूची प्राप्त होने के बाद जब उसका भौतिक सत्यापन किया गया तो अधिकतर कॉलेज मानक पर खड़े नहीं उतरे. वहां संसाधन से लेकर शिक्षकों की नियुक्ति तक में बड़ी कमी मिली. इसको देखते हुए विश्वविद्यालय ने उन कॉलेजों का प्रस्ताव ही स्वीकृति के लिए नहीं भेजा. वहीं जिन कॉलेजों का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया. उनकी मान्यता के लिए स्वीकृति देने में विलंब हो गयी है. ऐसे में अब इस सत्र में नामांकन मुश्किल है.

सिंडिकेट ने दी थी स्वीकृति, सीनेट में हुआ था विरोध

जिन कॉलेजों को भौतिक सत्यापन के दौरान मानक पर खड़ा नहीं पाया गया. उसे भी जांच कमेटी और सिंडिकेट तक ने स्वीकृति दे दी थी. इसबार हुइ सीनेट की बैठक की अध्यक्षता कुलाधिपति ने की तो जिन सिंडिकेट सदस्यों ने कॉलेजों की मान्यता पर मुहर लगायी थी. उन्होंने ही मुखर होकर कॉलेजों की मान्यता देने से पहले उसकी जांच का मुद्दा उठाया. जब दोबारा जांच के लिए कमेटी गयी तो वहां लगभग डेढ़ दर्जन कॉलेजाें में गड़बड़ी मिली.

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