यौन शोषण के मामले में आरोपित की जमानत पर दो अगस्त को सुनवाई

यौन शोषण के मामले में आरोपित की जमानत पर दो अगस्त को सुनवाई

By Prabhat Khabar News Desk | July 27, 2024 12:54 AM

मुजफ्फरपुर.

डीबीआर चिटफंड कंपनी में सारण की किशाेरी के साथ याैन शाेषण और मारपीट के मामले में नामजद आरोपित के जमानत अर्जी पर काेर्ट में सुनवाई हुई. काेर्ट में अब दाे अगस्त काे पांचों आरोपियों के मामले में सुनवाई की जायेगी. जेल में बंद चिटफंड कंपनी के मैनेजर तिलक कुमार सिंह, अजय कुमार की जमानत अर्जी पर सुनवाई की गयी. वहीं, फरार चल रहें कंपनी के सीएमडी मनीष कुमार, कर्मी एनामुल हक, कन्हैया कुशवाहा की अग्रिम जमानत पर सुनवाई हुई. काेर्ट ने दाे अगस्त काे सुनवाई करने का आदेश दिया है. बताते चले कि बीते दाे जून काे सारण की याैन शाेषण पीड़िता के काेर्ट परिवाद पर अहियापुर थाने में एफआइआर दर्ज करायी थी. इसमें सीएमडी मनीष कुमार, मैनेजर तिलक सिंह, एनामुल हक सहित अन्य नाै लाेगाें काे अरोपी बनाया था. पुलिस ने गाेरखपुर से मैनेजर तिलक व अजय काे गिरफ्तार कर लिया था. अजय इस केस का अप्राथमिकी अभियुक्त है. इसके बाद से लेकर अबतक पुलिस एक भी आरोपी गिरफ्तार नहीं कर सकी है. —-

चाइनीज कैदी के मौत की जांच की मांग को लेकर दूतावास को पत्रमुजफ्फरपुर. चाइनीज विचाराधीन कैदी ली दियाकी की मौत की जांच कराने कराने को लेकर सदर थाना क्षेत्र के लहलादपुर पताही निवासी अधिवक्ता सुधीर ओझा ने चाइनीज दूतावास न्यू दिल्ली के राजदूत पत्र लिखकर मामले में जांच की बात कही है. जिसमें बताया कि विचाराधीन चाइनीज व्यक्ति ली दियाकी की मौत नहीं बल्कि हत्या है. उन्होंने पत्र में आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्रीय कारा अधीक्षक व उनके पदाधिकारी द्वारा निर्मम पिटायी के कारण विदेश नागरिक की मौत हुई. ब्रह्मपुरा पुलिस द्वारा जेल भेजे गये चाइनीज नागरीक जिसे चाइनीज भाषा के आलावा कोई अन्य भाषा की जानकारी नहीं थी. तो पुलिस को पुलिस को उसके नाम पता की कैसे जानकारी हुई और कैसे उसे जेल भेजा. इसका मतलब है कि उसे चाइनीज भाषा के अलावा अंग्रेजी आती होगी तभी तो पुलिस द्वारा पता पूछने के बाद उसे न्यायालय द्वारा जेल भेजा गया. 24 घंटा के अंदर स्क्रीनिंग कराना होता है तो स्क्रीनिंग क्यूं नही कराया गया. जेल में अन्य बंदी रहते है तो वैसी परिस्थिति मे यह कहना कि चाइनीज बंदी द्वारा चश्मा से अंडक़स कटना सही प्रतीत नहीं होता है. जांच पदाधिकारी द्वारा आनन फानन में जांच कर प्रतिवेदन मे यह कहना कि इसके लिये कोई दोषी नहीं है यह संभव नहीं है.

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