मुजफ्फरपुर. अप्रैल शुरू होते ही गर्मी की धमक तेज हो गयी है. सुबह 11 बजे के बाद तेज धूप और गर्म हवा ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है. गर्मी शुरू होते ही कई बीमारियां भी परेशान करने लगी है. ऐसे में सेहत का ख्याल रखना बहुत जरूरी है. यदि हमने सावधानी नहीं बरती तो कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, इसलिये जरूरी है कि गर्मी में अपने जीवन-शैली और खानपान में सुधार लाया जाये, तो गर्मी से बचा जा सकता है. यहां गर्मी से बचाव के लिये यहां टिप्स दिये जा रहे है.
डिहाइड्रेशन से करें बचाव के उपाय
गर्मी में सबसे अधिक समस्या डिहाइड्रेशन की होती है. इस वजह से कई तरह की बिमारियों का खतरा बना रहता है. खासकर उल्टी, दस्त की समस्या अधिक आती है. इससे बचने के लिये मौसमी फलों सहित देसी खान-पान को अपनाना चाहिये. इस मौसम में दही जरूर खाना चाहिये. छांछ और लस्सी भी पीना चाहिये. इससे शरीर में ऊर्जा बनी रहती है. इस मौसम में खीरा स्वास्थ्यवर्धक होता है. दिन में कम से कम दो तीन खीरा जरूर खायें. इस मौसम में नींबू भी लाभकारी होता है. इससे शरीर को विटामिन सी मिलता है, जो हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमताता को बढ़ाती है.
गर्मी में लू से बचने के लिये तरबूज काफी मददगार होता है. इसके रस से एसिडिटी खत्म होती है. यह दिल की बीमारी और डायबिटीज से भी बचाव करता है. नारियल पानी से रक्तचाप नियंत्रित होता है. इसमें विटामिन सी, पोटैशियम, मैग्नीशियम सहित अन्य पोषक तत्व मिलते हैं. जो स्वाभाविक रूप से शरीर के तापमान को संतुलित करते है. जिन लोगों को गर्मी में हाई ब्लड प्रेशर की समस्या रहती है, उनके लिये नारियल पानी फायदेमंद है. नारियल पानी शरीर को पर्याप्त नमी भी देती है.
खरबूज, तरबूज और गन्ने का रस फायदेमंद
खरबूज में 95 फीसदी पानी के साथ विटामिन व मिनरल्स होते हैं. शरीर में पानी की कमी को दूर करने के लिये खरबूज का सेवन एक बेहतर विकल्प है. इसके बीज में प्रोटीन की अच्छी मात्रा होती है. खरबूज खाने से पेट में जलन की समस्या दूर होती है. इसके अलावा गन्ने के रस से तुरंत ऊर्जा मिलती है और कमजोरी दूर होती है. गन्ने के रस में भरपूर मात्रा में आयरन होता है. गन्ने का रस पीने से शरीर में नमी बनी रहती है, इसे पीने से ताजगी बनी रहती है और लू से बचाव भी होता है. नींबू में विटामिन सी की अधिक मात्रा होती है. यह शरीर के लिये लाभकारी है.
शरीर को गर्म करने वाले खाद्य-पदार्थों से रहे दूर
गर्मियों में ऐसे खाद्य-पदार्थ से दूर रहे, जो शरीर के तापमान को बढ़ा सकते हैं. खट्टे फल, चुकंदर, गाजर, रेड मीट, लहसुन, मिर्ची, टमाटर, खट्टा क्रीम जैसे खाद्य-पदार्थों के सेवन से बचना चाहिये
पित्त को नियंत्रित रखें
आयुर्वेद के अनुसार गर्मी के मौसम में शरीर को ठंडा रखने वाले और तापमान को संतुलित करने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिये. इस मौसम में पानी से भरपूर फलों का सेवन भी करना चाहिये. तरबूज, हरी सब्जी, नारियल, खीरा और दही का सेवन फायदेमंद होता है.
चिल्ड ड्रिंक्स का सेवन नुकसानदेह
अधिकतर लोग गर्मी के मौसम में ठंडे या बर्फीले ड्रिंक्स और पानी का इस्तेमाल करते हैँ. आयुर्वेद के अनुसार ऐसा करना बहुत हानिकारक है. चिल्ड ड्रिंक पीने से पेट की आग खाना को ऊर्जा में बदल देती है, इस वजह से बदहजमी जैसी समस्या होती है.
हेवी एक्सरसाइज नहीं करें
एक्सरसाइज करना फायदेमंद है, लेकिन गर्मी में सुबह में ही एक्सरसाइज करना चाहिये. इस समय वातावरण का तापमान कम रहता है. हेवी एक्सरसाइज करने से शरीर का तापमान बढ़ सकता है. जिसकी वजह से कमजोरी और थकान जैसी समस्याएं आती हैं.
गर्मी से बचने के करें उपाय
- ढीले कपड़े पहनें
- गर्मी में भोजन पचना कठिन होता है, इसलिये बार-बार थोड़ी-थोड़ी मात्रा में खाएं
- आंखों को धूप बचाने के लिए धूप का चश्मा पहनें
- भरपूर मात्रा में सनस्क्रीन लगाकर अपनी त्वचा को पराबैंगनी किरणों से बचाएं
- दोपहर के समय घर के अंदर ही रहने का प्रयास करें
- फास्ट फूड, डीप-फ्राइड या स्ट्रीट फूड से बचें
- खूब पानी और अन्य तरल पदार्थ पीयें
- वर्कआउट करना न छोड़ें
- मौसमी फल और सब्जियों का सेवन करें
गर्मी में इन बीमारियों से करें बचाव
वैसे तो हर मौसम में कोई ना कोई छोटी मोटी बीमारियां किसी को भी हो सकती हैं, लेकिन गर्मी में कई खतरनाक बीमारियां भी होती है. इस मौसम में जरा सी लापरवाही करना सेहत पर भारी पड़ सकता है. गर्मी में डायरिया, फूड पॉयजनिंग आदि होने की संभावना बहुत अधिक रहती है. यही नहीं, इस मौसम ही तेज धूप और पसीने की वजह से हीट स्ट्रोक, डिहाइड्रेशन से भी लोग बीमार हो सकते हैं
- लू लगना
- लू लगना यानी कि हीट स्ट्रोक. इसे मेडिकल टर्म में ‘हाइपरथर्मिया’ कहा जाता है. गर्मी के मौसम में होने वाली सबसे कॉमन बीमारियों में से ये एक है. अगर आप लंबे समय तक तेज धूप में रहते हैं तो आप लू की चपेट में आ सकते हैं. हीट स्ट्रोक होने पर सिर में तेज दर्द, तेज बुखार, उल्टी, तेज सांस लेना, ,चक्कर आना, कमजोरी महसूस होना या बेहोश हो जाना, यूरिन कम पास होना जैसे लक्षण आते हैं
- फूड पॉइजनिंग
- फूड पॉइजनिंग दूषित भोजन या पानी के सेवन से होता है. इस मौसम में बैक्टीरिया, वायरस और फंगस तेजी से ग्रोथ करते हैं. ऐसे में शरीर के अंदर अगर किसी तरह का बैक्टीरिया, वायरस, टॉक्सिन चला जाए तो फूड पॉइजनिंग हो सकता है. इसमें पेट दर्द, जी मिचलाना, दस्त, बुखार और शरीर में दर्द होते हैं. इसमें ना सिर्फ पेट मरोड़ के साथ दर्द करता है, बल्कि डायरिया, उल्टी जैसी समस्याएं भी नजर आने लगती हैं.
- टाइफाइड
- टाइफाइड एक वॉटर बॉर्न डिजीज है जो दूषित पानी या जूस आदि पीने से होता है. आमतौर पर जब संक्रमित बैक्टीरिया पानी के साथ शरीर में प्रवेश कर जाता है तब टाइफाइड के लक्षण दिखने लगते हैं. टाइफाइड में तेज बुखार, भूख ना लगना, पेट में तेज दर्द होना, कमजोरी महसूस होना जैसे लक्षण नजर आते हैं.
- चिकन पॉक्स
- चिकन पॉक्स वायरस से होने वाली बीमारी है. इस बीमारी में पूरे शरीर की स्किन पर बड़े छोटे पस वाले दाने हो जाते हैं जो ठीक होने के बाद भी दाग छोड़ जाते हैं. जिन लोगों की इम्यूनिटी कम होती है, उन्हें आसानी से यह बीमारी अपने चंगुल में ले सकती है. वैरीसेला जोस्टर वायरस की वजह से चिकनपॉक्स होता है. पर्यावरण में अगर मरीज का ड्रॉपलेट गिर जाए तो ये इसके फैलने की वजह बनता है. यह मरीज के छींकने या खांसने से फैलता है.
- घमौरी होना
- गर्मी में पसीना ज्यादा निकलता है. ऐसे में अगर आप तंग कपड़े पहने हों या पसीना ठीक तरीके से शरीर से बाहर नहीं निकल पाए तो स्किन पर रैश और घमौरियां हो जाती हैं, जिनकी वजह से खुजली की समस्या हो सकती है. ऐसे में गर्मियों में हल्के रंग वाले ढीले कॉटन के कपड़े पहनें.
- हेपेटाइटिस ए यानी पीलिया
- यह बीमारी भी दूषित पानी और दूषित खाना खाने से होता है. पीलिया में मरीज की आंखें और नाखून पीले होने लगते हैं और पेशाब भी पीले रंग की होती है. इसका सही समय पर इलाज नहीं कराया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकता है. पीलिया से बचने के लिए सबसे जरूरी है लिवर को हेल्दी रखना. अगर पीलिया ठीक हो गया है तो भी कुछ महीनों तक सादा भोजन की सलाह दी जाती है.
गर्मी में बच्चों का रखे खास ख्याल
गर्मी में अभिभावकों को बच्चों का खास ख्याल रखना चाहिये. बच्चों को समर फ्रेंडली फूड खिलाएं. उनकी डाइट में खरबूजा, तरबूज, खीरा, बैरीज़, पाइन एप्पल और संतरे को किसी भी प्रकार से शामिल कर दें. डॉक्टर बताते हैं कि एक से तीन साल के बच्चे को चार कप पानी, चार से आठ साल के बच्चे को छह कप, नौ से 13 साल के बच्चे को आठ कप और 14 से 18 साल के बच्चे को कम से कम 12 कप पानी पीना चाहिए. बच्चे दिनभर खेल कूद करते हैं. ऐसे में वे तय मात्रा में अगर ग्लूकोज़ वाले पेय लेते हैं, तो इससे उन्हें तुरंत एनर्जी मिलती है.