हर माह 9 व 21 तारीख को जांच कराने के निर्देश
मुजफ्फरपुर.
प्रेगनेंसी में एचआइवी टेस्ट अनिवार्य है, पर 42 % गर्भवतियों की जांच ही नहीं हो रही है. बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति ने इस पर कड़ी आपत्ति जतायी है. उन्होंने सीएस को पत्र भेजा है. कहा है कि 58 प्रतिशत गर्भवतियों की ही एचआइवी की जांच की जा रही है. मुजफ्फरपुर समेत 20 जिलों में जांच नहीं होने की समस्या सामने आयी है.समिति की रिपोर्ट के अनुसार 42 फीसदी महिलाओं की जांच ही नहीं होती है. ऐसे में हर महीने की 9 व 21 तारीख को इन महिलाओं की एचआइवी की जांच कराने के निर्देश दिये गये हैं. प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत जांच होनी चाहिए. लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है. इसकी वजह से एचआइवी पॉजिटिव ग्रसित महिलाओं का इलाज सही से नहीं हो पा रहा है. इसको देखते हुए समिति ने स्वास्थ्य उपकेंद्र तक विशेष जांच की व्यवस्था करने को कहा है. इसके तहत आशा, एएनएम व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को इस काम में लगाना है. बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति के कड़ी आपत्ति के बाद सिविल सर्जन ने सभी पीएचसी प्रभारियों को निर्देश दिया है कि वह गर्भवती महिलाओं का एचआइवी जांच करायें. उनका दावा है कि 15 से 20 फीसदी ही गर्भवतियों की जांच किसी कारण नहीं होती होगी. जिले में एक लाख 10 हजार से अधिक हर साल गर्भवतियां चिह्नित होती हैं. समिति की रिपोर्ट के अनुसार 58 फीसदी की ही जांच हो पाती है. जबकि स्थानीय अधिकारियों का दावा है कि इतनी संख्या में गर्भवतियां नहीं छूटती हैं.
सिफलिस टेस्ट भी अनिवार्य, पर ये नहीं होता
इधर सदर अस्पताल में एचआइवी जांच के साथ सिफलिस टेस्ट भी अनिवार्य रूप से होना है, लेकिन सदर अस्पताल में इसका पालन नहीं किया जा रहा है. सदर अस्पताल में ऐसे व्यक्तियों की एचआइवी जांच की जा रही है, लेकिन सिफलिस जांच नहीं की जा रही है. ऐसे इस बीमारी के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. सदर अस्पताल द्वारा इसमें घोर लापरवाही बरती जा रही है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है