सड़क दुर्घटना के बाद ट्रिब्यूनल से कैसे मिलता है मुआवजा? जानें आवेदन की प्रक्रिया

हिट एंड रन एवं नॉन हिट एंड रन दो तरह की सड़क दुर्घटनाएं होती हैं. इन दुर्घटनाओं में मरने वालों के आश्रितों को मुआवजा दिया जाता है. लेकिन भुगतान से पहले ट्रिब्यूनल में सुनवाई होती है. जानें पूरी प्रक्रिया क्या है.

By Anand Shekhar | August 9, 2024 10:24 PM

सड़क दुर्घटना के मौत के मामलों में मृतक के आश्रित को मुआवजा भुगतान का नियम है. इसमें दो तरह के मामले होते है जिसमें अलग अलग तरीके से मुआवजा भुगतान होता है. पहला हिट एंड रन इसमें वैसे मामले आते है जिसमें ठोकर मारने वाले वाहन का पता नहीं होता है. ऐसे मामलों में मृतक के आश्रित सीधे डीटीओ ऑफिस में आवेदन करेंगे. जिसमें सत्यापन के बाद मृतक के आश्रित को दो लाख रुपये का मुआवजा मिलता है. हिट एंड रन के तहत मुजफ्फरपुर में इस साल अब तक 225 लोगों की मौत हुई है, जिसमें 190 मृतक के आश्रित को दो दो लाख रुपये का मुआवजा भुगतान हो चुका है.

हिट एंड रन के तहत सड़क दुर्घटना में 225 की मौत, 190 को मिला मुआवजा

दूसरा मामला नन हिट एंड रन का होता है. इसमें दुर्घटना वाली गाड़ी पकड़ी जाती है व उसका नंबर पता चल जाता है. तो ऐसे मामलों में मुआवजा भुगतान के लिए परिवहन विभाग द्वारा ट्रिब्यूनल का गठन किया गया है. जहां मामलों की सुनवाई कर मृतक के आश्रित को मुआवजा भुगतान की कार्रवाई होती है. नन हिट एंड रन के तहत अब तक 350 मामले ट्रिब्यूनल में पहुंचे है, जिसमें 9 मामलों में करीब 40 लाख रुपये से अधिक रकम का मुआवजा भुगतान का आदेश पारित हुआ है. वहीं अन्य मामलों में सुनवाई चल रही है.

रिटायर्ड जज के समक्ष होती है सुनवाई

ट्रिब्यूनल में छह माह से लेकर साल भर के अंदर मामले में सुनवाई करते हुए निष्पादन करना है. ट्रिब्यूनल में एक रिटायर्ड जज के समक्ष मामलों की सुनवाई की जाती है. इधर मामले में डीटीओ कुमार सत्येंद्र यादव ने बताया कि हिट एंड रन मामलों में तेजी से मुआवजा भुगतान की कार्रवाई की जा रही है. एडीटीओ के नेतृत्व में इसकी कार्रवाई चल रही है. वहीं ट्रिब्यूनल वाले मामले में सुनवाई के बाद कार्रवाई की जाती है.

कैसे करेंगे आवेदन

आवेदक को एक्सीडेंट क्लेम डॉट बिहार डॉट जीवोभी डॉट इन पर जाना है. दुर्घटना होने के बाद अधिकतम छह माह के भीतर आवेदन करना है. इसमें नॉ हिट एंड रन का ऑप्शन पर क्लिक करना है. दुर्घटना की जगह, मृतक का पता व क्या करते थे, उनका पहचान पत्र, आश्रित के कागजात आदि अपलोड करने है. इसके बाद इंश्योरेंस, एफआइआर, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, गाड़ी व चालक की डिटेल.

ट्रिब्यूनल में मामला जाने के बाद अगर मृतक के परिजन सामने वाले से समझौता कर लेते है कोई दिक्कत नहीं. ट्रिब्यूनल अधिकतम नौ माह के भीतर सुनवाई करते हुए फैसला करेगी. ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष सुनवाई के बाद मुआवजा की राशि तय करते है जिसका भुगतान इंश्योरेंस कंपनी व गाड़ी मालिक से कराया जाता है.

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दुर्घटना वाली गाड़ी पकड़े जाने की होगी सुनवाई

सड़क दुर्घटना में मृत के आश्रितों को मुआवजा भुगतान दो तरह से किया जाता है. जिस दुर्घटना में गाड़ी का पता नहीं चलता, उसमें परिजन सीधे डीटीओ ऑफिस में आवेदन करते है. जिसमें जांच के बाद दो लाख रुपये दिये जाते है. वहीं दूसरा मामला जिसमें दुर्घटना वाली गाड़ी पकड़े जाने पर इन मामलों में मुआवजा भुगतान इसी न्यायाधिकरण में सुनवाई के बाद किया जाता है. इसमें मुआवजा राशि ट्रिब्यूनल द्वारा तय की जाती है.

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