लोकतत्त्व के अभाव में साहित्य व संस्कृति की कल्पना असंभव
लोकतत्त्व के अभाव में साहित्य व संस्कृति की कल्पना असंभव
मुजफ्फरपुर.
एमडीडीएम कॉलेज में इतिहास विभाग व आइक्यूएसी के तत्त्वावधान में भिखारी ठाकुर की जयंती मनी. इस अवसर पर लोक-सांस्कृतिक कार्यक्रम, “मिट्टी के रंग ” का आयोजन किया गया. अध्यक्षता कर रहीं प्राचार्य प्रो कनुप्रिया ने बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा की चर्चा की. लोक इतिहास व लोक गायन के संरक्षण पर बल दिया. उन्होंने कहा कि लोकतत्त्व के अभाव में साहित्य व संस्कृति की कल्पना असंभव है. बड़ा रचनाकार वह है, जो मिट्टी से जुड़ कर अपनी कृति रचता है. इतना ही नहीं, उन्होंने विद्यापति व भिखारी ठाकुर की रचनाओं के जरिये वैकल्पिक इतिहास लेखन की महत्ता पर भी प्रकाश डाला. लोक गायिका शारदा सिन्हा को श्रद्धांजलि दी. इस अवसर पर दर्शनशास्त्र विभाग की प्रो किरण झा व महाविद्यालय के बर्सर व मीडिया प्रभारी डॉ राकेश रंजन ने भी अपने विचार रखे. कार्यक्रम के दौरान इतिहास विभाग की छात्राओं द्वारा संबलपुरी, बाउल, सामा-चकेवा, विदेशिआ व ओडिशा, बंगाल, मिथिला व भोजपुरी क्षेत्रों के लोक गायन व नृत्यों का मंचन किया गया. इस कार्यक्रम का संचालन उम्मतुल फातिमा व धन्यवाद ज्ञापन इतिहास की विभागाध्यक्ष डॉ प्रांजलि ने किया. इस अवसर पर प्रो कुसुम शर्मा, डॉ आभा, डॉ प्रियम फ्रांसिस, डॉ शगुफ्ता नाज, डॉ वर्षा, डॉ देवाश्रुति घोष, डॉ रवि भूषण सिंह, डॉ नील रेखा, डॉ बिपिन, डॉ नूतन, डॉ नेहा थीं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है