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मछलियों के उपचार में औषधीय पौधों के प्रयोग की दी जानकारी

मछलियों के उपचार में औषधीय पौधों के प्रयोग की दी जानकारी

मुजफ्फरपुर.

बीआरएबीयू के पीजी जूलॉजी विभाग में तीन दिनों से चल रहे अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का रविवार को समापन हो गया. आखिरी दिन पहले सत्र में अंतरराष्ट्रीय वक्ताओं ने व्याख्यान दिया. कनाडा से जुड़े डॉ अपूर्व कृष्णदेव ने नये और उत्कृष्ट तकनीक का प्रयोग कर जलकृषि से अधिक उत्पादन की जानकारी दी. सिफे मुंबई से प्रो.रामप्रकाश रमण ने मछलियों के उपचार में औषधीय पौधों के प्रयोग के बारे में जानकारी दी. नीम, हल्दी, सोयाबीन से मछलियों के उपचार के बारे में बताया.

मत्स्य उत्पादन के बारे में बताया

सिंगापुर से जुड़े अमरेंद्र पांडेय ने मछलियों के लिए भोज्य पदार्थ के निर्माण की नयी प्रणाली और उसका संरक्षण के बारे में जानकारी दी. बताया कि नयी प्रणाली से उसका संरक्षण किया जाए तो फूड को लंबे समय तक फंगस से बचाया जा सकता है. बताया कि फूड को सुरक्षित रखने के लिए कंटेनर विकसित किया गया है. यह सभी स्तर के किसानों को आसानी से उपलब्ध हो सकता है. इंडोनेशिया से राजीव कुमार झा ने तकनीकी का उपयोग कर अधिक से अधिक मत्स्य उत्पादन के बारे में बताया. समेकित मछली पालन के नये तरीकों का प्रयोग कर जैव सुरक्षा करते हुए जलकृषि को अधिक उपयोगी बना सकते हैं.

शोधार्थियों ने शोध पत्र प्रस्तुत किया

इस तकनीकी सत्र की अध्यक्षता डॉ दिलीप कुमार ने की. वहीं सह अध्यक्ष गुजरात के प्रो उजैनिया थे. दूसरे सत्र में प्रदेश के विभिन्न जिलों से पहुंचे शोधार्थियों ने शोध पत्र प्रस्तुत किया. वहीं अन्य विश्वविद्यालयों से पहुंचे संकाय सदस्यों ने पीपीटी के माध्यम से प्रस्तुति दी. धन्यवाद ज्ञापन प्रो शिवानंद सिंह ने किया. कार्यक्रम में शोधार्थी तरुण, पुष्कर, प्रणय, रमन ने भूमिका निभायी. वहीं सभागार में प्रो.सुषमा कुमारी, प्रो.राकेश मोहन, डॉ वीके सिंह, डॉ ममता, डॉ अमिता, प्रो.विजय कुमार, डॉ विपुल वैभव, डॉ निक्की, वेद प्रकाश दूबे, अमरेश, गजाला, नीतीश, गौरव, अमरजीत, राहुल, प्रीति, अमिता समेत अन्य मौजूद थे.

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