मुर्गी पालन से लेकर जूता-चप्पल निर्माण तक, हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनीं मुजफ्फरपुर की 6 लाख दीदियां

मुजफ्फरपुर की छह लाख जीविका दीदियां आज लगभग उस हर क्षेत्र में कार्य कर रही हैं, जो पहले कभी सिर्फ पुरुषों के लिए ही माना जाता था. लेकिन आज जीविका दीदियां इन क्षेत्रों में कार्य कर दूसरों के लिए भी नजीर बन रही हैं.

By Anand Shekhar | June 25, 2024 6:15 AM

Jeevika: मुजफ्फरपुर जिले की छह लाख जीविका दीदियां अपनी मेहनत से न केवल आर्थिक रूप से सशक्त हुई हैं, बल्कि दूसरी महिलाओं के लिए भी नजीर बनी हैं. आधी आबादी की आत्मनिर्भरता की कहानी भले ही हैरान करने वाली हो, लेकिन यह सच है कि आज जीविका दीदियां घर की चौखट पार कर अपनी प्रतिभा से परिवार को आर्थिक संबल दे रही हैं. यह बदलाव एक दिन में नहीं आया है, इसके लिए वर्षों तक सांगठनिक मेहनत करनी पड़ी है और कार्ययोजना को जमीन पर उतारना पड़ा है.

हर तरह के कार्य से जुड़ी जीविका दीदियां

आज जीविका दीदियां हर वह काम में जुड़ी हैं, जिसे पहले पुरुषों के लायक ही माना जाता था. मुर्गी पालन, बकरी पालन, पशु सखी से लेकर जूता-चप्पल निर्माण, जेनरल स्टोर्स, सीएसपी सेंटर, खेती-किसानी, पंपिंग सेट व्यवसाय, बीज वितरण सहित अनेक तरह के काम में जुड़ी हैं और उससे अच्छी उपार्जन कर रही हैं. जीविका समूहों को उद्योग विभाग से ऋण मिल रहा है, जिससे वे सबल हो रही हैं. सकरा प्रखंड की सना खातून के पास दवा खरीदने के लिये भी रुपये नहीं थे, जब वह जीविका से जुड़ी तो उसे स्वरोजगार के लिये दस हजार मिले. इससे उसने घर-घर जाकर शृंगार का सामान बेचना शुरू किया.

बैग क्लस्टर में 615 जीविका दीदी कर रहीं काम

बियाडा के बैग क्लस्टर में आज 615 जीविका दीदी काम कर रही हैं. यहां से महीने में सवा से डेढ़ लाख बैग का निर्माण हो रहा है. जिसकी सप्लाई देश के विभिन्न मार्केट सहित मॉल में किया जा रहा है. यहां काम करने वाली जीविका दीदी को प्रति माह आठ हजार तक की कमाई हो रही है. अब बैग कलस्टर को विस्तार दिये जाने की योजना है. इसके अलावा टेक्सटाइल्स क्लस्टर के यूनिट की स्थापना पर भी विचार हो रहा है. इसमें भी जीविका दीदियों की भागीदारी होगी. उद्योग विभाग इस तरह के कलस्टर से चार हजार जीविका दीदियों को जोड़ने की योजना बना रहा है.

अमेरिकी संस्था ने भी की जीविका की काम की सराहना

जीविका समूह की महिलाओं की सफलता की गूंज विदेशों तक में फैल रही है. पिछले दिनों इनके कामकाज को देखने अमेरिका की संस्था को-इंपैक्ट की एसोसिएट डायरेक्टर डोरिस किंग मुजफ्फरपुर पहुंची थी. डोरिस ने जीविका से जुड़ी महिलाओं से मुलाकात कर बारीकी से जानकारी ली. इस दौरान डोरिस ने कहा कि जीविका, बंधन और जे-पाल संस्था के संयुक्त प्रयास से यहां की महिलाएं आर्थिक रूप से सबल हो रही हैं. उन्होंने जीविका दीदियों के प्रयास की सराहना की.

जीविका दीदियां अब व्यवसाय और उद्यम के हर क्षेत्र से जुड़ रही हैं. किसी भी उद्यम से जुड़ने के लिये जीविका दीदियों को पहले प्रशिक्षण दिया जाता है. जीविका दीदियों को ऋण भी उपलब्ध कराया जाता है. आज कई दीदियां अपनी मेहनत से लखपति बन गयी हैं. ऐसी जीविका दीदियों को सम्मानित भी किया गया है.

– अनीशा, प्रबंधक, जीविका

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