Khudiram Bose: पश्चिम बंगाल के दो युवक खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी ने क्रांति की आंदोलन तेज की थी. इसके बाद मुजफ्फरपुर शहर ही नहीं, पूरा देश आंदोलित हो गया था. अत्याचारी जज किंग्सफोर्ड को मारने के लिए दोनों दीवाने मुजफ्फरपुर पहुंचे थे. 30 अप्रैल, 1908 को कंपनीबाग स्थित यूरोपियन क्लब के समीप दोनों ने जज किंग्सफोर्ड को मारने के लिए बम फेंका था, लेकिन दर्भाग्य से जिस बग्घी पर बम फेंका गया था, वह बग्धी जज किंग्सफोर्ड की नहीं थी. उस बग्धी में अंग्रेज वकील की पत्नी और बेटी सवार थी, जो मारी गयी.
अलग-अलग रास्तों पर भागे दोनों
बम विस्फोट के बाद दोनों रेलवे लाइन पकड़ कर पूसा की ओर भागे. दोनों ने अलग-अलग रास्ते अपनाएं. प्रफुल्ल चाकी मोकामा स्टेशन पर गिरफ्तार करने के लिए पुलिस पहुंची तो उन्होंने खुद को गोली मार ली और खुदीराम बोस को पूसा के वैनी से गिरफ्तार किये गये. उन पर मुकदमा चला. सरकार की ओर से भानुक व विनोद मजूमदार और खुदीराम बोस की ओर से कालिका दास बोस ने मुकदमा लड़ा.
हंसते-हंसते चढ़ गए फांसी
मात्र आठ दिनों तक चली सुनवायी में 13 जुलाई 1908 को फांसी की सजा सुनायी गयी. इस फैसले के विरूद्ध कोलकाता उच्च न्यायालय में तत्कालीन न्यायाधीश ब्रास व ऋषि की अदालत में अपील की गयी. जज ने फांसी की सजा बहाल रखी. केवल तिथि में फेरबदल कर फांसी का दिन 11 अगस्त 1908 तय कर दिया गया. खुदीराम बोस ने हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूम लिया.
खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी की शहादत ने मुजफ्फरपुर को किया था आंदोलित
उनकी शहादत से देश के युवाओं में फिर से आजादी की ललक पैदा कर दी. 1857 में अंग्रेजों के द्वारा दबा दिये गये सिपाही विद्रोह के बाद से यह पहला मौका था जब लोग आजादी के लिए आंदोलित होने लगे थे. युवाओं में खुदीराम बोस लिखा धोती के पार का क्रेज बढ़ गया. खुदीराम बोस की शहादत आज भी यहां की फिजां में मौजूद है. जेल के अंदर शहीद खुदीराम बोस का सेल और फांसी स्थल पर आज भी शहीद की देशभक्ति की कहानी कह रहा है.
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11 अगस्त की सुबह 4.50 बजे जेल में दी जाएगी श्रद्धांजलि
शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारागार में 11 अगस्त की सुबह 4.50 में शहीद को श्रद्धांजलि दी जाएगी. जेल सुपरिटेंडेंट ब्रजेश सिंह मेहता ने कहा कि जेल के अंदर खुदीराम बोस के सेल और फांसी स्थल को सजाया जाएगा. सेल में शहीद के चित्र पर फूलमाला और धूपबाती दिखा कर श्रद्धांजलि दी जाएगी. इसके बाद फांसी स्थल पर शहीद के चित्र पर माल्यार्पण किया जाएगा और उन्हें सलामी दी जाएगी. जेल के बाहर लगे शहीद की प्रतिमा पर भी माल्यार्पण किया जाएगा. इस मौके पर डीएम सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहेंगे.
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