Bihar News: खून की उल्टी के बाद सुनीता ने तोड़ा दम, किडनी निकलने के बाद 2 साल से SKMCH में थी भर्ती
Bihar News: मुजफ्फरपुर किडनी कांड की पीड़िता सुनीता की SKMCH में मौत हो गई, वह सितंबर 2022 से SKMCH में भर्ती थी. बच्चेदानी के ऑपरेशन के दौरान किडनी निकाल ली गई थी. पुलिस अब तक आरोपी डॉक्टर को गिरफ्तार नहीं कर पाई है.
Bihar News: मुजफ्फरपुर के श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (एसकेएमसीएच) के आईसीयू में लगभग दो साल से भर्ती सुनीता की सोमवार की दोपहर मौत हो गयी. दोपहर को उसे अचानक सांस लेने में तकलीफ हुई. उसके बाद खून की उल्टी होने के बाद तबीयत ज्यादा बिगड़ गयी. मौके पर उसके पति अकलू राम ने डॉक्टरों को सूचना दी. उसे तुरंत वेंटिलेटर पर रखा गया. इसी बीच उपाधीक्षक डॉ सतीश कुमार मौके पर पहुंचे. उन्होंने जांच के बाद सुनीता को मृत घोषित कर दिया. उसकी मौत की सूचना मिलते ही पति और उसके दोनों बच्चे रोने लगे. एसकेएमसीएच प्रशासन ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. मेडिकल बोर्ड गठन कर सुनीता के शव का पोस्टमार्टम कराया गया है. पूरे मामले की वीडियोग्राफी भी करायी गयी है.
गर्भाशय के ऑपरेशन के दौरान निकाल ली गयी थी किडनी
गर्भाशय के ऑपरेशन के दौरान सकरा थाना के बाजी राउत गांव की सुनीता देवी की दोनों किडनियां निकाल ली गयी थी. बरियारपुर स्थित शुभकांत क्लिनिक में तीन सितंबर 2022 को सुनीता के गर्भाशय का ऑपरेशन किया गया था. यह क्लिनिक झोलाछाप डॉक्टर पवन कुमार का बताया गया था. पांच सितंबर को सुनीता की तबीयत खराब होने पर उसे श्रीकृष्ण चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल लाया गया.सात सितंबर 2022 को जांच के बाद पता चला कि उसकी दोनों किडनियां निकाल ली गयी हैं.
11 जुलाई को पेट दर्द की हुई थी शिकायत
इससे पहले पेट में दर्द की शिकायत पर 11 जुलाई 2022 को डाॅ. पवन के क्लिनिक में उपचार शुरू हुआ.गर्भाशय निकालने के लिए ऑपरेशन कराने की सलाह दी गयी. इसके लिए उससे 20 हजार रुपये जमा कराये गये थे. ऑपरेशन के बाद सुनीता की हालत बिगड़ने लगी. तब डाक्टर उसे पटना भेज कर फरार हो गया.
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संचालक डॉ पवन को मिल चुकी है सात साल की सजा
इस मामले में अस्पताल संचालक डाॅ पवन कुमार को दोषी करार देते हुए अलग अलग धाराओं में सात साल के सश्रम कारावास की सजा मिल चुकी है. एससी-एसटी कोर्ट के विशेष न्यायाधीश अजय कुमार मल्ल ने सत्र विचारण के बाद आरोपित को दोषी पाते हुए 18 हजार का अर्थदंड भी दिया था. आरोपित डॉ पवन कुमार 16 नवंबर 2022 से जेल में बंद है. कोर्ट ने डॉ पवन को धारा 384 में एक साल की सजा व तीन हजार अर्थदंड, धारा 420 में तीन साल व पांच हजार जुर्माना और धारा 326 में सात साल की सजा और दस हजार जुर्माना लगाया था.वही इस मामले के मुख्य आरोपित डा. आरके सिंह अब तक फरार है. उसके विरुद्ध कुर्की की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. विशेष कोर्ट ने उसके मामले को अलग कर दिया है.